पौरुष ग्रंथि का कैंसर क्या होता है? क्या यह धीमी गति से बढ़नेवाला या भयावह रोग है?
पौरुष ग्रंथि पुरुषों में मूत्राशय के सिरे पर स्थित अखरोट के आकार की ग्रंथि है। कभी-कभी इस ग्रंथि में कैंसर कारक वृद्धि देखी जाती है। अधिकांश प्रोस्टेट कैंसर धीरे-धीरे बढ़ती है, हालांकि यह भयावह प्रोस्टेट कैंसर का एक सबसेट है जिसके घातक होने से पहले पहचान और इलाज किया जाना चाहिए।
क्यों हम पिछले कुछ आखिरी के दशकों में प्रोस्टेट कैंसर के निदान की संख्या में वृद्धि देख रहे हैं?
भारतीय जनसांख्यिकी को ध्यान में रखते हुए वृद्ध पुरुषों की आबादी में वृद्धि हुई है और जैसा कि यह बुजुर्गों की बीमारी है इसकी घटनाएं बढ़ रही हैं। इसके अलावा रोग निदान केंद्रों और अस्पतालों की बेहतर उपलब्धता और सामान्य आबादी में बीमारी के बारे में जागरूकता के कारण अधिक से अधिक संख्या में पता लगाया जा रहा है।
जोखिम के कारण और इसकी सामान्य आयु क्या है?
यह उम्र बढ़ने से जुड़ी हुई बीमारी है इसलिए उम्र बढ़ने के साथ जोखिम बढ़ता जाता है और 50 साल से अधिक उम्र के पुरुषों में यह अधिक देखा जाता है। यह अधिकांश अफ्रीकी पुरुषों और उन परिवारों में देखा जाता है जहाँ प्रोस्टेट कैंसर का इतिहास होता है।
इसके लक्षण क्या हैं?
दिलचस्प बात यह है कि इस बीमारी के शुरुआती चरण में कोई लक्षण नहीं होते हैं। हालांकि, जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, व्यक्ति को पेशाब करने में कठिनाई, बार-बार शौचालय (विशेष रूप से रात में) जाने की जरुरत होने, मूत्र और वीर्य में रक्त आने लगता है। जब रोग बहुत बढ़ा होता है तो यह पीठ दर्द और पैरों की कमजोरी का कारण बन सकता है।
इसका निदान कैसे किया जाता है?
इस बीमारी का निदान करने के लिए मूत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा महसूस कर मूल्यांकन करना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। इसके अलावा रक्त परीक्षण (सीरम, पीएसए) और सोनोग्राफी प्राथमिक जांच के तरीके हैं। संदिग्ध मामलों में बायोप्सी और एमआरआई जाँच की जाती है।
इसके चरण का पता कैसे लगाया जाए और इसका इलाज कैसे किया जा सकता है?
बीमारी की अवस्था का पता लगाने के लिए पेट का सीटी स्कैन, हड्डी की जाँच या पोजीट्रान उत्सर्जन टोमोग्राफी (पीईटी) आवश्यक है। कैंसर के चरण के आधार पर उपचार निर्धारित किया जाता है। निश्चित स्थान पर कैंसर का इलाज शल्यचिकित्सा (खुली परम्परागत/लैप्रोस्कोपिक/रोबोटिक) या विकिरण थेरेपी द्वारा संभव है। काफी आगे बढ़ गए मामलों में जहां इलाज संभव नहीं है, इस बीमारी को हार्मोन उपचार (बंध्याकरण) और रसायन चिकित्सा (कीमोथेरेपी) द्वारा प्रबंधित किया जा सकता है।
सफलता दर और बाद का उपचार क्या है?
प्रारंभिक अवस्था वाले प्रोस्टेट कैंसर को अच्छी सफलता दर के साथ ठीक किया जा सकता है, हालांकि, उन्हें हर 3 से 6 महीने में फिर से जाँच के लिए जाने की आवश्यकता होती है। बाद के चरणों के स्थिति को अच्छे परिणामों के साथ बड़ी संख्या में प्रबंधित किया जा सकता है।
क्या जोखिम कम करने के कोई उपाय है?
जोखिम को कम करने के लिए जल्दी पता लगाना महत्वपूर्ण है और स्वस्थ जीवन शैली रखना जरुरी है जिसमें पर्याप्त सब्जियों और फलों के साथ स्वस्थ आहार, धूम्रपान और लाल मांस से परहेज करना और नियमित रूप से व्यायाम करना शामिल है।
जोखिम को कम करने में फिएस्टेराइड दवा की क्या भूमिका है?
प्रोस्टेट कैंसर की रोकथाम में फियास्टराइड की भूमिका स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं है।
कुछ अध्ययनों का दावा है कि स्खलन का एक निवारक प्रभाव हो सकता है। क्या यह सच है?
कुछ अध्ययन हैं जो दावा करते हैं कि वीर्यपात निवारक प्रभाव हो सकता है। हालांकि प्रोस्टेट कैंसर पर स्खलन का निवारक प्रभाव अभी भी अच्छे रोग विषयक अध्ययनों द्वारा सिद्ध किया जाना है।
लेखक डॉ अभय कुमार, सलाहकार – मूत्रविज्ञान और मूत्र कैंसर विज्ञान, नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, हावड़ा में हैं।