न्यूनतम व्यापक मेस्र्दंड शल्यचिकित्सा (एमआइएसएस) आधुनिक दौर की मेस्र्दंड शल्यचिकित्सा का एक आगामी पहलू है।
एंडोस्कोपिक और लैप्रोस्कोपिक शल्यचिकित्सा विभिन्न शल्यक समस्याओं के लिए अच्छी तरह से स्थापित संस्थाएं हैं। न्यूनतम व्यापक मेस्र्दंड शल्यचिकित्सा रीढ़ की समस्याओं के प्रबंधन के लिए समान लाभ प्रदान करती है।
खुले शल्यचिकित्सा तुलना में एमआइएसएस के विधि में रीढ़ की हड्डी तक कई छोटे या चाभी समान छेद शामिल हैं। यह शल्यचिकित्सा को तेज, कम दर्दनाक बनाता है और जल्दी ठीक होने में सक्षम बनाता है।
एमआइएसएस के निम्न फायदे हैं:
- त्वचा के छोटे चीरों से बेहतर कॉस्मेटिक परिणाम (कभी-कभी कई मिलीमीटर छोटे चीरे होते हैं)
- शल्यचिकित्सा से खून की कम क्षति
- मांसपेशियों की क्षति का कम जोखिम, क्योंकि मांसपेशियों की कम या एकदम भी काटने की आवश्यकता नहीं होती है
- शल्यचिकित्सा के पश्चात संक्रमण और दर्द का कम जोखिम
- शल्यचिकित्सा के बाद तेजी से स्वस्थ होना और पुनर्वास की आवश्यकता कम होना
- शल्यचिकित्सा के बाद दर्दनिवारक दवाओं पर कम निर्भरता
कुछ एमआइएसएस स्थानीय एनेस्थीसिया द्वारा और एक दिन के भीतर की प्रक्रियाओं के रूप में भी की जा सकती हैं, जिससे अस्पताल में रहने की अवधि काफी छोटी हो जाती है
एमआइएसएस प्रक्रियाओं का उपयोग करके निम्न परिस्थितियों का इलाज किया जाता है:
- अपक्षयी डिस्क रोग
- हर्नियेटेड डिस्क
- लम्बर स्पाइनल स्टेनोसिस
- मेरुदंड का संक्रमण
- रीढ़ की हड्डी में अस्थिरता स्पोंडिलोलिस्थीसिस
- कशेरुका के दबाव से टूट (फ्रैक्चर)
- मेरुदंड का ट्यूमर
सामान्य एमआइएसएस प्रक्रियाएं जो आज नियमित रूप से उपयोग में लाई जाती है:
नलीदार खींचनेवाले यंत्र (रिट्रेक्टर्स) द्वारा डिकम्प्रेशन या डिस्केक्टॉमी: इसमें मांसपेशियों के क्रमिक फैलाव और नली का उपयोग करके रीढ़ के प्रभावित क्षेत्र तक पहुंचना शामिल है। एक सामान्य खुले तरीके में उस हिस्से तक पहुंचने के लिए हड्डी से मांसपेशियों को काटना और अलग करना शामिल है। डिस्केक्टॉमी और डिकम्प्रेशन प्रक्रियाओं को नलीयों के माध्यम से किया जा सकता है। केवल 2-3 सेंटीमीटर का चीरा होता है जिससे जल्दी ठीक होते हैं और अस्पताल में कम दिनों तक रहना पड़ता है।
इंडोस्कोपिक मेरुदंड शल्यचिकित्सा: एंडोस्कोपिक मेरुदंड शल्यचिकित्सा में एंडोस्कोप के माध्यम से बहुत बगल से रीढ़ तक पहुंचना शामिल है। चीरा मुश्किल से ही एक ऊँगली के बराबर होता है और पूरी प्रक्रिया स्थानीय एनेस्थीसिया द्वारा की जाती है। मरीज प्रक्रिया के दौरान जाग रहा होता है इसलिए ऐसे मामले में न्यूरोलॉजिकल क्षति का खतरा बहुत कम रहता है। मरीज को शल्यचिकित्सा के तुरंत बाद चलाया जा सकता है और अगले कुछ घंटों या अगले दिन छुट्टी दी जा सकती है।
एमआइएसएस टीएलआइएफ: खुला विलय प्रक्रिया अपक्षयी रीढ़ की समस्याओं जैसे लिस्टिसिस (एक कशेरुका का फिसलना) या स्पाइनल कैनाल स्टेनोसिस (रीढ़ की नसों का संपीड़न) के लिए बहुत नियमित रूप से की जाने वाली शल्यचिकित्सा है। न्यूनतम व्यापक विलय प्रक्रिया में दोनों तरफ छोटे चीरों के माध्यम से पेंच लगाना शामिल है। और विलय प्रक्रिया में रीढ़ के एक तरफ 2-3 सेमी छोटा चीरा लगाया जाता है। छोटा चीरा और कम अवधि जल्दी स्वस्थ होना और तेजी से पुनर्वास सुनिश्चित करता है।
वर्टीब्रोप्लास्टी और काइफोप्लास्टी: ऑस्टियोपोरोटिक मेरुदंड के हड्डी के टूट का इलाज परक्यूटीनियस सीमेंट वृद्धि (आर्गुमेंटेशन) द्वारा “वर्टीब्रोप्लास्टी और काइफोप्लास्टी” प्रक्रियाओं द्वारा किया जा सकता है।
न्यूनतम व्यापक मेरुदंड शल्यचिकित्सा बारे में जानने के लिए अपने मेरुदंड शल्यचिकित्सक से सलाह लें। यह समझना महत्वपूर्ण है कि हर रीढ़ की समस्या को एमआइएसएस द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता है। आपकी नैदानिक रिपोर्ट और जांच के आधार पर आपका चिकित्सक आपके शल्यचिकित्सा (एमआइएसएस बनाम खुली शल्यचिकित्सा) के लिए सबसे अच्छा विकल्प चुनेगा।
डॉ ह्रितविज भट्ट, आमंत्रित सलाहकार – हड्डी रोग, नारायणा मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल, अहमदाबाद