अपने रक्तचाप को नियंत्रित करने का सही तरीका जानें | नारायणा हेल्थ हर साल लगभग 1.5 मिलियन लोग उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन के शिकार होते हैं। यदि उन्होंने सिर्फ अपनी जीवन शैली में थोड़ा बदलाव किया होता और उच्च रक्तचाप के जोखिम से जुड़े कारणों से बचे होते, तो वे इस तरह मौत के मुंह में न जाते और उनकी मृत्यु टल सकती थी। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारा आंकड़ा उतना न पहुंचे।
रक्त वाहिकाओं की दीवारों पर रक्त संचार करने का जो दबाव होता है, उसे रक्तचाप कहते हैं। इसमें से ज्यादातर दबाव उस रक्त से होता है जो हृदय द्वारा पंप किया जाता है। उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन इसलिए खतरनाक माना जाता है क्योंकि यह हृदय को रक्त को बाहर पंप करने में मुश्किलें पैदा करता है।
तो जब हृदय को रक्त पंप करके बाहर निकालने के लिए संघर्ष करना पड़ता है, तब आगे क्या होता है? धमनियाँ कठोर होने लगती हैं, जिससे स्ट्रोक और गुर्दे की बीमारी हो सकती है; तथा दिल का दौरा पड़ने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। रक्तचाप को तब सामान्य माना जाता है जब उसकी रीडिंग 120/80 हो यानी उपरी रीडिंग 120 से ज्यादा नहीं होना चाहिए और नीचे का रीडिंग 80 से ज्यादा नहीं हो। जिन लोगों की रीडिंग इससे ज्यादा हो उन्हें रक्तचाप को सामान्य स्थिति में लाने के लिए डॉक्टर से जरुर परामर्श लेनी चाहिए।
कारण:
उच्च रक्तचाप किस वजह से होता है इसका वास्तविक कारण भले ही नहीं जाना जाता है, लेकिन हम ऐसे कई कारकों के बारे में अवश्य जानते हैं जिनकी वजह से उच्च रक्तचाप होता है जैसे:
- गुर्दे की बहुत पुरानी बीमारी (दिल और गुर्दे की बीमारियां एक दूसरे से जुड़े हुए होते हैं)
- मोटापा
- भोजन में अत्यधिक नमक, और बहुत अधिक तैलीय, मीठा भोजन करना
- शारीरिक व्यायाम की कमी, एक सुस्त जीवन शैली
- तनाव
- शराब का सेवन (सभी प्रकार की चिकित्सा और मानसिक परेशानियों से बचने के लिए परहेज़ सबसे बढियां उपाय है)
- धूम्रपान (यह न सिर्फ ध्रूमपान करने वालों को बल्कि उनके आसपास रहने वाले लोगों के लिए भी समस्या पैदा कर सकता है, जिसे निष्क्रिय ध्रूमपान कहते हैं)
- उम्र होने पर (जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, दिल भी कमजोर होता चला जाता है)
- जीन और वंशानुगत कारणों से भी उच्च रक्तचाप होता है, जैसे परिवार में उच्च रक्तचाप का इतिहास
इसके लक्षण क्या हैं?
- सरदर्द
- धुंधली दृष्टि
- चक्कर आना
- सीने में दर्द
- दम फूलना
- मतली और उल्टी
बहुत से लोग जानना चाहते हैं कि क्या प्राकृतिक साधनों के उपयोग से उच्च रक्तचाप को नियंत्रित किया जा सकता है? हाँ, जरुर किया जा सकता है। दवा के बिना भी प्राकृतिक तरीकों को अपनाकर रक्तचाप को सामान्य स्तर पर लाया जा सकता है। हालांकि इसके लिए जीवनशैली में बदलाव की जरूरत होती है। लगातार स्वस्थ जीवन शैली अपनाने से, स्वस्थ भोजन और नियमित व्यायाम करने से शरीर और मस्तिष्क का तनाव कम होता है जिससे उच्च रक्तचाप कम हो सकता है।
उपचार के लिए स्वस्थ जीवन शैली अपनाएं:
नारायणा हेल्थ के अध्यक्ष डॉ. देवी शेट्टी का कहना है कि अगर किसी युवा को उच्च रक्तचाप होने का पता चलता है, तो उसे उसके जीवनशैली में कुछ बदलाव करने की सलाह दी जाती है। इसमें तनाव कम करने के लिए एक स्वस्थ आहार लेना, व्यायाम या योग करना तथा ध्यान लगाना शामिल हैं। शराब और धूम्रपान के सेवन से बचें।
यदि रोगी की उम्र 30 वर्ष से अधिक है, तो उन्हें हर ऱोज दवा लेने के लिए दिया जाता है जिसे लेने में कोई चुक नहीं होनी चाहिए और उन दवाओं को लेने के नियम का पालन सख्ती से किया जाना चाहिए।
डॉ. शेट्टी मरीजों को आगे सलाह देते हैं: आपको अपने डॉक्टर की सलाह और परामर्श हर हाल में माननी चाहिए, खासकर रोज की दवाइयाँ लेने के बारे में। उच्च रक्तचाप एक ऐसी बीमारी है जो आजीवन चलती है, इसलिए यह बहुत जरुरी है कि आप अपने डॉक्टर्स या उनके टीम की सलाह का सख्ती से पालन करें और उनके साथ सहयोग करें ताकि आपका इलाज सफलतापूर्वक चलता रहे और बेहतर स्वास्थ्य के लाभों का आनंद लेते रहें। एक बार जब उपचार नियमित और सुचारू रूप से चलने लगता है, तो फिर आपको अपने रक्तचाप को सामान्य स्तर पर रखना आसान हो जाता है।
याद रखें कि उच्च रक्तचाप पर काबू करके आप दिल का दौरा, हृदय की विफलता, स्ट्रोक, परिधीय धमनी की बीमारी और गुर्दे की बीमारी जैसे खतरों से बचे रह सकते हैं।
इसलिए, अगर आप स्वस्थ रूप से जीवन जीना चाहते हैं तो बुद्धिमानी इसी में है कि आप अपने डॉक्टर की बात ध्यान से सुनें और अनुशासन के साथ उनके निर्देशों का पालन करें। अगर आप सुखमय जीवन जीना चाहते हैं तो आपको खुद को स्वस्थ रखना पड़ेगा और आप तभी स्वस्थ रह सकते हैं जब आपका हृदय स्वस्थ रहे।
डॉ. देवी शेट्टी, नारायणा इंस्टीट्यूट ऑफ नारायणा कार्डियक साइंसेज, बोम्मसंद्रा, बैंगलोर के नारायणा हॉस्पिटल्स के अध्यक्ष और प्रमुख कार्डियक सर्जन हैं।