रेडियोथेरेपी कैंसर के मरीज़ों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एक थेरेपी है। जहां इस थेरेपी के दौरान हाई एनर्जी बीम्स कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने में मदद करते हैं वहीँ इस दौरान मरीज़ के खान-पान का भी विशेष ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण होता है। कुछ मरीज़ अक्सर खान-पान के विषय में भ्रमित होते हैं, क्योंकि इन्टरनेट पर इस सम्बन्ध इतनी अधिक जानकारी होती है कि निर्णय लेना मुश्किल होता है कि वाकई क्या खाया जाए और क्या नहीं। कुछ स्रोत एक्ज़ोटिक फ्रूट्स खाने की सलाह देते हैं जो कि मरीज़ की इम्युनिटी को बढाने में मदद कर सकते हैं लेकिन भारत में वे उपलब्ध हैं या नहीं यह एक विषय बन जाता है, कुछ दूध और चीनी बिल्कुल छोड़ देने की सलाह देते हैं। ऐसे में मरीज़ अक्सर सही सलाह के लिए संपर्क करते हैं। सबसे पहले यहाँ जानकारी के सही और विश्वसनीय स्रोत होना ज़रूरी है।
अब क्योंकि कैंसर के मरीज़ों की इम्यूनिटी पहले से ही कमज़ोर होती है, तो रेडियेशन थेरेपी के संबंधित दुष्प्रभाव तुलनात्मक रूप से व्यापाक असर डाल सकते हैं यदि खान-पान की सही आदतों को नज़रअंदाज़ किया जाए इसलिए निम्नलिखित के अनुसार अपना डाइट प्लान बनाएं :-
साफ़ सफाई बनाये रखें :- यह एक सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। और यह भी ध्यान रहे कि इस तरह की डाइट के नियम बहुत सरल होते हैं। फल और सब्जियां अच्छे से धुली व साफ़ होनी चाहिए, क्योंकि इनमें मौजूद अस्वच्छता कैंसर के मरीज़ के लिए इम्यूनिटी कम होने के कारण आम इंसान से अधिक नुक्सानदेह हो सकती है।
कच्चे फल सब्जी से ज्यादा पके बोजन को तवज्जो दें :- जैसा कि बताया गया कि कच्चे फलों व सब्जियों में मौजूद कीटाणु रेडियेशन थेरेपी पर चल रहे मरीज़ों को तुलनात्मक रूप से अधिक नुक्सान कर सकते हैं, इसलिए घर में अच्छी तरह से पके भोजन को अधिक तवज्जो दें। भोजन को आंच पर पकाने के दौरान इस बात को कुछ हद तक सुनिश्चित किया जा सकता है कि कीटाणु नहीं रहेंगे। और क्योंकि एक कैंसर के मरीज़ की रोगों से लड़ने की क्षमता आम इंसान से बेहद कम होती है इसलिए अधिकतर पका भोजन उचित विकल्प है। साथ ही भोजन पकाने के दौरान हर कदम पर साफ़ सफाई सुनिश्चित करें।
बहुत कम मसालों का करें इस्तेमाल :- व्यंजनों में बहुत कम मात्रा में मसाले इस्तेमाल करें, क्योंकि इससे गले में छले, एसिडिटी, उल्टी आदि होने का जोखिम हो सकता है जिससे समस्या बढ़ सकती है। इसलिए बहुत कम या न के बराबर मसाले डालें, और बोजन में स्वाद बढ़ाने के उद्देश्य से उसमें नींबू का रस, मक्खन, घी आदि जोड़े जा सकते हैं।
पैक्ड जूस का सेवन करें बजाय खुलीजगह से जूस लेने के :- हाल ही में मैनुफेक्चर हुए पैक्ड जूस को तवज्जो दें, खुली मार्केट या खुले में बनाये जा रहे जूस को न ख़रीदें, ताकि कीटाणुओं का जोखिम कम हो सके।
फल, जिन्हें काटने, छीलने की ज्यादा ज़रूरत न पड़े :- कोशिश करें कि ऐसे फल लिए जाएं जिन्हें ज्यादा काटने, छीलने की ज़रूरत न पड़े। बल्कि ऐसे फलों का चयन करने जिन्हें सीधा छीलकर तुरंत खाया जा सके, जैसे केला। और यदि अनार की बात करने तो उसको काटना, फिर एक एक दाना अलग करने की प्रक्रिया में हरेक दाने पर खुले हाथों से छूआ जाना कीटाणुओं को निमन्त्रण दे सकता है। साथ ही फलों को खाने से पहले गर्म पानी से अच्छी तरह धोएं।
गैस्ट्रिक दालों और सब्जियों से परहेज़ :- ऐसी दालों व सब्जियों का सेवन न करें जो पेट में गैस बना सकती हों। क्योंकि पेट में गैस होने की वजह से रेडियेशन की परतें अपनी जगह से हिल सकतीं हैं और रेडियेशन ट्यूमर के बजाय गलत जगह को टारगेट कर सकता है। इसलिए हल्के भोजन का सेवन करें जो पाचन में भी आसान हों।
ज्यादा प्रोटीन लें :- पोषण को प्राथमिकता दें। इसके लिए अपने भोजन में प्रोटीन को जोड़ें. सोयाबीन, डालें, पनीर, अंडे प्रोटीन के बेहतरीन स्रोत हैं।
शरीर में तरलता बनाये रखें:- रेडियेशन थेरेपी ले रहे कैंसर मरीज़ों को दिन में चार से साढ़े चार लीटर तरल पदार्थों का सेवन सुनिश्चित करना चाहिए। इसलिए सूप, छाछ आदि लिए जा सकते हैं। इलाज के दौरान पेट में दर्द की शिकायत होने पर अक्सर दूध नहीं पीने की सलाह दी जाती है, अन्यथा अन्य विशेष परिश्तितियों में दूध भी लिया जा सकता है।
याद रखें रेडियेशन थेरेपी में किसी भी फैंसी भोजन की ज़रूरत नहीं, बल्कि आपकी रसोई में मौजूद पदार्थों से आपकी समस्या का समाधान हो सकता है यदि साफ़ सफाई और उचित नियमों के साथ इस्तेमाल किया जाए। डॉक्टर की सलाह का पालन करना और समय पर इलाज करवाना मरीज़ को ठीक होने में मदद करेंगे।
डॉक्टर कनिका सूद शर्मा | क्लीनिकल लीड एंड सीनियर कंसलटेंट – रेडियेशन ऑन्कोलॉजी | धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल
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