हार्ट अटैक बनाम स्ट्रोक – दोनों क्या अंतर है?
दिल का दौरा पड़ना तथा स्ट्रोक गंभीर स्वास्थ्य स्थितियां होती हैं जिनकी तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है। ये स्थितियां अचानक उत्पन्न हो सकती हैं इसलिए दोनों के बीच अंतर जानना बहुत जरूरी है।
सरल शब्दों में कहा जाय, तो दोनों ही स्थितियों में शरीर के महत्वपूर्ण अंगों तक पर्याप्त मात्रा में रक्त नहीं पहुँच पाता जिसके चलते ऐसा परिणाम निकलता है। मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में जब रुकावट उत्पन्न होती है तब स्ट्रोक मारता है, जबकि हृदय तक यदि पर्याप्त मात्रा में रक्त ना पहुंचे तो उससे दिल का दौरा पड़ता है। इन दोनों स्थितियों के लिए अलग-अलग उपचार की आवश्यकता होती है और कितनी देर के भीतर सहायता दी गई इसके ऊपर निर्भर करता है कि मरीज को कितनी गंभीर क्षति पहुंचेगी, कितनी देर में रिकवरी होगी या वो जिन्दा बचेगा या मर जाएगा।
स्ट्रोक क्या है?
स्ट्रोक एक गंभीर स्थिति है जो तब उत्पन्न होती है जब रक्त प्रवाह मस्तिष्क तक पहुंचने से बाधित हो जाता है। यह मस्तिष्क में या तो रुकावट या रिसने वाली रक्त वाहिकाओं के कारण होता है, और दोनों ही स्थिति में, मस्तिष्क के ऊतक मरना शुरू हो जाते हैं क्योंकि उन्हें अपने काम करते रहने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन का मिलना बंद हो जाता है।
स्ट्रोक के लक्षण:
- अप्रत्याशित चक्कर आना या संतुलन खोना
- शरीर के एक तरफ कमजोरी या सुन्नता
- गंभीर सिरदर्द
- एक या दोनों आँखों में असामान्य धुंधलापन
- बोलने में या समझने-समझाने में समस्या
स्ट्रोक के सभी लक्षणों को याद रखना भ्रामक या मुश्किल हो सकता है। इसीलिए हमेशा FAST शब्द को याद रखें।
F – मतलब चेहरे का एक ओर झूलना
A – मतलब हाथ में कमजोरी
S – मतलब बोलने में दिक्कत
T – इमरजेंसी सर्विसेस को बुलाने का समय
तुरंत इन तीन प्रमुख लक्षणों की पहचान करना और समय पर चिकित्सा सहायता पहुँचाने से पता चल सकता है कि स्ट्रोक से कितनी क्षति पहुंचेगी और कितनी देर में रिकवरी होगी। जिस समय लक्षण दिखाई दिए हों उसका सटीक समय बताने से चिकित्सा कर्मियों सही उपचार दे सकते हैं।
हार्ट अटैक क्या है?
रक्त के प्रवाह में अवरोध पड़ने के कारण दिल का दौरा पड़ता है जिससे दिल को क्षति पहुँचती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि धमनियों में प्लेक जमा हो जाता है। इसके जमने से जैसे-जैसे समय बीतता जाता है हृदय तक रक्त का पहुंचना मुश्किल होता जाता है जिससे हृदय की मांसपेशियों को नुकसान पहुँचने लगता है। इस स्थिति को कोरोनरी धमनी रोग कहा जाता है, जो दिल के दौरे के प्रमुख कारणों में से एक है। जिस तरह से मस्तिष्क की कोशिकाओं को स्ट्रोक के दौरान ऑक्सीजन नहीं मिलती है, उसी तरह से हृदय की मांसपेशी भी नष्ट होना शुरू कर देती है जब उसे ऑक्सीजन नहीं मिलता है। ऐसे समय पर, हृदय को कोई और क्षति पहुँचने से बचाने के लिए यह बहुत आवश्यक है कि वहां यथाशीघ्र रक्त और ऑक्सीजन पहुंचाई जाए।
दिल का दौरा पड़ने के लक्षण:
दिल का दौरा पड़ने के लक्षण आमतौर पर दौरा पड़ने के कुछ घंटे पहले या कुछ दिन पहले से दिखने लग सकते हैं या ये अचानक भी हो सकता है। इसके सामान्य लक्षण निम्न हैं:
- सीने में दर्द या जकड़न
- बांह या कंधों में समझ में न आने वाला दर्द
- पीठ, गर्दन या जबड़े में समझ में न आने वाला दर्द
- सांस की तकलीफ
- कमजोरी, चक्कर और बेहोशी आना
आमतौर पर, ये लक्षण उल्टी, मतली और असामान्य थकान के साथ होते हैं। यदि आपको संदेह है कि किसी को दिल का दौरा पड़ रहा है, तो आपातकालीन सेवाओं को कॉल करें। मरीज को मुंह से सांस दें या यदि उपलब्ध हो तो डिफाइब्रिलेटर का उपयोग करें।
बचाव सबसे बड़ी कुंजी है
यहां तत्काल चिकित्सा सहायता पहुँचाना बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन अगर इसका बचाव कर लिया जाय तो और भी बेहतर है। धूम्रपान, मोटापा, गतिहीन जीवन शैली और तनाव जैसे जोखिम कारकों को रोककर स्ट्रोक और हार्ट अटैक दोनों से बचा जा सकता है। अनुवांशिकी, आयु और अन्य कारक एक माध्यमिक भूमिका निभाते हैं। स्वस्थ जीवनशैली अपनाना, स्वस्थ भोजन करना और धूम्रपान से परहेज करने से स्ट्रोक या दिल के दौरे की संभावना को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।
डॉ. हरीश एएच, कंसल्टेंट – न्यूरोलॉजी, सह्याद्री नारायणा मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल