प्रोस्टेट कैंसर एक गंभीर बीमारी है जो हर साल हजारों पुरुषों को प्रभावित करती ह। ये मध्यम आयु वर्ग या उससे अधिक उम्र के हैं। लगभग 60 प्रतिशत मामले 65 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में होते हैं। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी (ACS) का अनुमान है कि 2019 में 174,650 अमेरिकी पुरुष इस स्थिति से पीड़ित होंगे।
क्या है प्रोस्टेट कैंसर ये समझने के लिए ज़रूरी हैं के हम इससे जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातों को समझें। पहले समझना ज़रूरी है के प्रोस्टेट क्या है।
प्रोस्टेट (Prostate in Hindi) एक छोटी ग्रंथि है जो एक आदमी के निचले पेट में पाई जाती है। यह मूत्राशय के नीचे और मूत्रमार्ग के आसपास स्थित है। प्रोस्टेट हार्मोन टेस्टोस्टेरोन द्वारा विनियमित होता है और एक तरल पदार्थ का उत्पादन करता है, जिसे वीर्य कहा जाता है। वीर्य शुक्राणु युक्त तरल पदार्थ है जो वीर्य स्खलन के दौरान मूत्रमार्ग से बाहर निकलता है।
जब प्रोस्टेट में कोशिकाओं की असामान्य, घातक वृद्धि से ट्यूमर बन जाता है, इसे प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है। ये कैंसर शरीर के अन्य क्षेत्रों में फैल जब फैलना शुरुर करता है तब भी इसे प्रोस्टेट कैंसर ही कहा जाता है क्योंकि कैंसर प्रोस्टेट के कोशिकाओं से बना है।
जैसा कि हमने पहले ही बताया, उम्र प्रोस्टेट कैंसर के लिए एक प्राथमिक जोखिम कारक है। ये रोग 60 से 69 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में होता है। हर 14 लोगों में से 1 बुजुर्ग को ये बीमारी की आशंका रहती है।
यूरोलॉजी केयर फाउंडेशन के अनुसार, संयुक्त राज्य में पुरुषों के लिए प्रोस्टेट कैंसर कैंसर से होने वाली मौतों का दूसरा प्रमुख कारण है। जबकि इसके प्रकोप से भारत भी बचा हुआ नहीं है। भारत में वर्ष 2019 में 25,696 प्रोस्टेट कैंसर के नए मामले सामने आए हैं जो पिछले साल की तुलना में बहुत अधिक है और अभी भी बढ़ रहे हैं। इसे 2020 तक दोगुना हो जाने का अनुमान है। इसके जरिए होने वाली मौतों की संख्या 17,184 है। जितनी घटना है, उस में 5 साल में 47,558 और बढ़ जाता है। यह दुनिया भर में 4 वां सबसे अधिक पाया जाने वाला ट्यूमर है। इसका अर्थ है मृत्यु और रुग्णता।
संतोष की बात यह है कि भारतीयों में अभी इस संबंध में कोई भी क्षेत्रीय या जातीय अंतर नहीं दिखा है।
इसलिए यदि आप भारतीय 40 वर्ष के पुरुष हैं तो आपको प्रोस्टेट कैंसर के बारे में जानना चाहिए।
प्रोस्टेट पुरुषों में एक अखरोट के आकार का ग्रंथि है जो वीर्य (seminal fluid) बनाता है और शुक्राणु (sperm) को पोषण जुटाता है। जब प्रोस्टेट ग्रंथि में कैंसर होता है, तो इसका विकास धीमी और सिमित हो सकता है, जिसे चिकित्सा सहायता की जरुरत नहीं होती या फिर यह गंभीर रूप से बढ़ सकता है और नजदीकी अंगों तक फैल सकता है।
प्रोस्टेट कैंसर के फैलने के तेज़ी के ऊपर इसको दो मूल प्रकार में विभाजित किया जा सकता है:
एग्रेसिव (Aggressive) या आक्रामक: ये बहुत तेजी से बढ़ता है
नॉन-एग्रेसिव (non-aggressive): ये धीमी गति से बढ़ता है
समय के साथ non-aggressive प्रोस्टेट कैंसर के साथ, ट्यूमर या तो बहुत धीमी गति से बढ़ता है या तो एकदम नहीं बढ़ता है। आक्रामक प्रोस्टेट कैंसर के साथ, ट्यूमर जल्दी से बढ़ सकता है और शरीर के अन्य क्षेत्रों में फैल सकता है, जैसे कि हड्डिया।
हड्डियों में इसके फैलने को इसे मेटास्टैटिक कैंसर भी कहा जाता ह। मेटास्टैटिक वह कैंसर है जो शरीर के अन्य क्षेत्रों में फैल गया है जहां से यह पहली बार हुआ था। जब प्रोस्टेट कैंसर मेटास्टेसिस करता है, तो यह अक्सर हड्डियों तक फैल जाता ह। यदि कैंसर रीढ़ की हड्डी में फैलता है, तो आप अपने पैरों और मूत्राशय में महसूस कर सकते हैं।
तेजी से और धीमी गति से बढ़ते ट्यूमर के बीच न तो कोई अंतर कर सकता है और न ही आप पूर्वानुमान लगा सकते हैं कि यह कितना गंभीर रूप ले सकता है। यह बिना किसी परेशानी के हानिरहित रह सकता है या यह उग्र हो सकता है और आस-पास के अंगों में फैल सकता है।
प्रोस्टेट कैंसर के कुल इलाज की संभावना उन मामलों में बहुत अधिक है जहां इसका प्रसार सीमित है। इस रोग का निदान केवल तभी हो सकता है जब प्रारंभिक अवस्था में इसका पता चल जाए। शुरुआती जांच केवल स्क्रीनिंग के माध्यम से ही हो सकता है।
स्क्रीनिंग के माध्यम से हम वास्तविक शारीरिक लक्षणों के प्रकट होने से पहले हम इसका पता लगा सकते हैं। ये विधियाँ कम खर्चीला हैं।
प्रोस्टेट कैंसर स्क्रीनिंग में 2 प्रमुख प्रक्रियाएँ शामिल हैं:
प्रोस्टेट कैंसर से बचाव के लिए हमें इन बातों का ध्यान रखना होगा:
कुछ जोखिम कारक हैं, जैसे कि उम्र, जिसे आप नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। हालाँकि, कुछ अन्य हैं जिन्हें आप नियंत्रित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, धूम्रपान छोड़ने से प्रोस्टेट कैंसर का खतरा कम हो सकता है, क्योंकि शोध से पता चला है कि धूम्रपान आपके जोखिम को बढ़ाता है। आहार और व्यायाम भी महत्वपूर्ण कारक हैं जो प्रोस्टेट कैंसर के आपके जोखिम को प्रभावित कर सकते हैं।
अन्य कैंसर की तरह इसका कारण भी अज्ञात है, इसलिए आप इस संबंध में बहुत कुछ नहीं कर सकते। आप क्या कर सकते हैं आप एक स्वस्थ जीवन शैली अपना कर और जोखिम कारकों को ख़तम कर थोड़ा लाभ प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे शुरू करें –
स्वास्थ्य सेवा में तकनीकी प्रगति के कारन, प्रारंभिक चरण में निदान किए गए लगभग 100% पुरुष पांच साल के बाद रोग-मुक्त हो जाएंगे।
प्रोस्टेट कैंसर (Prostate Cancer) की दवा/इलाज:
आपका डॉक्टर आपकी उम्र, स्वास्थ्य की स्थिति और आपके कैंसर के चरण के आधार पर आपके कैंसर के लिए एक उपयुक्त उपचार योजना विकसित करेगा।
यदि कैंसर नॉन-एग्रेसिव है, तो आपका डॉक्टर आपको पहले उनके निगरानी में रहने की सलाह देते हैं, जिसे सक्रिय निगरानी भी कहा जाता है। इसका मतलब है कि आप उपचार में देरी करेंगे लेकिन कैंसर की निगरानी के लिए अपने डॉक्टर से नियमित जांच करवाएं।
यदि आपका कैंसर बहुत आक्रामक है और मेटास्टेसिस हो गया है, तो आपकी हड्डियों में फैलने का आशंका है। अस्थि मेटास्टेस के लिए, निम्नोक्त उपचार का उपयोग एक दूसरे के साथ कंबाइंड ट्रीटमेंट के हिसाब से या जा सकता है।
प्रोस्टेट कैंसर का पहचान अगर शुरुआत में हो जाता है तो इसके प्रबंधन में सर्जरी की आवश्यकता नहीं पड़ती इसका उपचार कीमो और रेडियोथेरेपी से हो जाती है। इन दोनों के उपचार में पिन पॉइंट परिशुद्धता के साथ लक्षण को हटाया जाता है और इस लिए इसमें कोई दर्द नहीं होता।
सिर्फ उम्र के वजह से आपको अधिक खतरा नहीं होता है। एथ्निसिटी जैसे अन्य कारक भी इसके लिए जिम्मेदार हैं जिनकी चर्चा ऊपर की जा चुकी है। इसके अलावा स्क्रीनिंग में कुछ तथ्यों छूट जा सकते हैं काफी महत्व के हो सकते हैं ठीक वैसे हीं कुछ अन्य चीजों का पता चल सकता है जो वैसे नुकशानदेह नहीं होते। ये तेजी से बढ़ते घातक ट्यूमर या धीमी गति से बढ़ते हानिरहित ट्यूमर के बीच अंतर नहीं कर पाते हैं। इसके ऊपर, इसका दुष्प्रभाव रोगी के जीवन के गुणवत्ता को कम कर सकता है।
पहले के चरणों में नहीं। बाद के चरण के दौरान यह आपकी यौन क्षमता को प्रभावित कर सकता है या नहीं भी कर सकता। इसका परिणाम अलग अलग व्यक्तियों में अलग अलग हो सकता है।
मुझे यकीन है कि इस लेख से प्रोस्टेट कैंसर के बारे में आपके जानकारी में कुछ और जुड़ गया होगा!
डॉ. अमित गोयल, कंसलटेंट – उरोलोजि, नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम
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