हृदय संबंधित समस्याओं के लिए कब चेकअप कराना चाहिए?
35 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति या जिसे उच्च कोलेस्ट्रॉल, बी.पी., डायबिटीज, मोटापा या हृदय संबंधित समस्याओं का पारिवारिक इतिहास हो, ऐसे व्यक्ति को नियमित हृदय जाँच जरूर करानी चाहिए। लक्षण दिखाई देने से पहले 2डी ईको और टी.एम.टी. जैसी जाँचें, हार्ट ब्लॉकेज का पता लगाने में मदद कर सकती है। यदि किसी को सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, थकान, अनियमित या तेज दिल की धड़कन आदि जैसे लक्षण हो तो उन्हे तुरंत कार्डियोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए।
35 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी व्यक्ति या जिसे उच्च कोलेस्ट्रॉल, बी.पी., डायबिटीज, मोटापा या हृदय संबंधित समस्याओं का पारिवारिक इतिहास हो, ऐसे व्यक्ति को नियमित हृदय जाँच जरूर करानी चाहिए। लक्षण दिखाई देने से पहले 2डी ईको और टी.एम.टी. जैसी जाँचें, हार्ट ब्लॉकेज का पता लगाने में मदद कर सकती है। यदि किसी को सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, थकान, अनियमित या तेज दिल की धड़कन आदि जैसे लक्षण हो तो उन्हे तुरंत कार्डियोलॉजिस्ट से सलाह लेनी चाहिए।
क्या हर सीने में दर्द हार्ट अटैक का लक्षण होता है? इनमें अंतर कैसे करें और तुरंत क्या किया जाना चाहिए?
सभी सीने में दर्द हार्ट अटैक के संकेत नहीं होते है। अगर आपको छाती के बीच में या आपकी बाहों, कमर के ऊपरी हिस्से में, जबड़े, गर्दन या पेट के ऊपरी हिस्से में नये तरह का दर्द हो जो 5 मिनट से भी ज्यादा हो, साथ ही सांस लेने में तकलीफ, ठंडा पसीना, जी घबराना, थकान या चक्कर आना जैसे लक्षण हो तो यह लक्षण हार्ट अटैक के सूचक हो सकते है। हालांकि, अगर सीने का दर्द क्षणिक है या सुई की चुभन जैसा है तो यह अन्य कारणों से भी हो सकता है। सीने में दर्द होने पर हमेशा डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
सभी सीने में दर्द हार्ट अटैक के संकेत नहीं होते है। अगर आपको छाती के बीच में या आपकी बाहों, कमर के ऊपरी हिस्से में, जबड़े, गर्दन या पेट के ऊपरी हिस्से में नये तरह का दर्द हो जो 5 मिनट से भी ज्यादा हो, साथ ही सांस लेने में तकलीफ, ठंडा पसीना, जी घबराना, थकान या चक्कर आना जैसे लक्षण हो तो यह लक्षण हार्ट अटैक के सूचक हो सकते है। हालांकि, अगर सीने का दर्द क्षणिक है या सुई की चुभन जैसा है तो यह अन्य कारणों से भी हो सकता है। सीने में दर्द होने पर हमेशा डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
क्या इस कोरोना के समय में हार्ट अटैक होने पर इमरजेंसी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है?
हाँ, हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक या अन्य किसी भी मेडिकल इमरजेंसी में सरकार द्वारा निर्धारित सभी सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए इमरजेंसी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। जिन मरीजों को हार्ट अटैक के लक्षण सामने आ रहे हैं, उन्हेंं हृदय को अत्याधिक नुकसान से बचाने के लिए जल्द से जल्द अस्पताल की इमरजेंसी में आना चाहिए।
हाँ, हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक या अन्य किसी भी मेडिकल इमरजेंसी में सरकार द्वारा निर्धारित सभी सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए इमरजेंसी ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। जिन मरीजों को हार्ट अटैक के लक्षण सामने आ रहे हैं, उन्हेंं हृदय को अत्याधिक नुकसान से बचाने के लिए जल्द से जल्द अस्पताल की इमरजेंसी में आना चाहिए।
कई बार हृदय धमनी रोग वाले मरीजों को उपचार की अलग-अलग सलाह दी जाती है (सर्जरी / स्टेंटिंग)। ऐसे मामलों में क्या करना चाहिए?
उपचार प्रणाली का निर्णय लेने में कई कारक शामिल है जैसे रोग की जटिलता, कितनी रक्त वाहिकाएं प्रभावित हैं, डायबिटीज, मरीज की उम्र, मेडिकल हिस्ट्री आदि। इन्हीं कारकों का पता लगाकर यह तय किया जाता है कि इलाज की कौनसी विधि मरीज के लिए अधिक सुरक्षित और प्रभावी हो सकती है। जब मरीज के केस में इलाज का सबसे उपयुक्त विकल्प स्पष्ट नहीं होता या उपचार के कई विकल्प संभव होते हैं तो मूल्यांकन के लिए केस हार्ट टीम को दिया जाता है। हार्ट टीम में एक कार्डियोलॉजिस्ट, कार्डियक सर्जन और इमेजिंग विशेषज्ञ शामिल होते हैं जो संयुक्त रूप से केस की समीक्षा करते हैं और इलाज का सबसे उपयुक्त विकल्प की सलाह देते हैं। ऐसे मामलों में निर्णय लेने के लिए अत्याधुनिक डायग्नोस्टिक तकनीके भी काफी मददगार होती है।
उपचार प्रणाली का निर्णय लेने में कई कारक शामिल है जैसे रोग की जटिलता, कितनी रक्त वाहिकाएं प्रभावित हैं, डायबिटीज, मरीज की उम्र, मेडिकल हिस्ट्री आदि। इन्हीं कारकों का पता लगाकर यह तय किया जाता है कि इलाज की कौनसी विधि मरीज के लिए अधिक सुरक्षित और प्रभावी हो सकती है। जब मरीज के केस में इलाज का सबसे उपयुक्त विकल्प स्पष्ट नहीं होता या उपचार के कई विकल्प संभव होते हैं तो मूल्यांकन के लिए केस हार्ट टीम को दिया जाता है। हार्ट टीम में एक कार्डियोलॉजिस्ट, कार्डियक सर्जन और इमेजिंग विशेषज्ञ शामिल होते हैं जो संयुक्त रूप से केस की समीक्षा करते हैं और इलाज का सबसे उपयुक्त विकल्प की सलाह देते हैं। ऐसे मामलों में निर्णय लेने के लिए अत्याधुनिक डायग्नोस्टिक तकनीके भी काफी मददगार होती है।
अगर एंजियोप्लास्टी या सर्जरी के बाद हृदय संबंधित समस्याएं फिर से होने लगें तो क्या दोबारा सर्जरी या एंजियोप्लास्टी संभव है और क्या यह सुरक्षित है?
बढ़ती जीवन प्रत्याशा के साथ अब रिपीट या री-डू हार्ट प्रोसीजर या सर्जरी (दूसरी, तीसरी या चौथी बार हृदय की सर्जरी) बहुत सामान्य हो गए हैं और एडवांस्ड हार्ट सेंटर्स में बहुत अच्छी सफलता दर के साथ किये जा रहे हैं। इस तरह की सर्जरी काफी जटिल होती हैं और इन सर्जरी में व्यापक अनुभव और सटीकता के साथ बेहतरीन पोस्ट-ऑपरेटिव केयर की आवश्यकता होती है क्योंकि मरीज की रिकवरी इसी पर निर्भर होती है।
बढ़ती जीवन प्रत्याशा के साथ अब रिपीट या री-डू हार्ट प्रोसीजर या सर्जरी (दूसरी, तीसरी या चौथी बार हृदय की सर्जरी) बहुत सामान्य हो गए हैं और एडवांस्ड हार्ट सेंटर्स में बहुत अच्छी सफलता दर के साथ किये जा रहे हैं। इस तरह की सर्जरी काफी जटिल होती हैं और इन सर्जरी में व्यापक अनुभव और सटीकता के साथ बेहतरीन पोस्ट-ऑपरेटिव केयर की आवश्यकता होती है क्योंकि मरीज की रिकवरी इसी पर निर्भर होती है।
मुझे कुछ साल पहले हार्ट अटैक हुआ था और अब मेरी हृदय की पंपिंग कम हो गई है, क्या किया जाना चाहिए?
हार्ट अटैक या संक्रमण, हृदय की मांसपेशियों को कमजोर कर सकता है और इससे हृदय की पंप करने की क्षमता कम हो जाती है। ये जटिलताएं ज्यादातर समय के साथ बढ़ती जाती हैं। अक्सर इसके लक्षण तब तक दिखाई नहीं देते है जब तक हृदय को काफी क्षति नहीं हो जाती है। 40 से नीचे इजेक्शन फ्रैक्शन, सांस की तकलीफ, भूख में कमी, जी मिचलाना, लगातार खांसी होना, चक्कर आना, पैरों में सूजन और वजन बढ़ना, थकान महसूस होना या हृदय की धड़कन में अनियमितता जैसे लक्षण वाले मरीजों को बिना किसी देरी के हार्ट फेलियर विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।
हार्ट अटैक या संक्रमण, हृदय की मांसपेशियों को कमजोर कर सकता है और इससे हृदय की पंप करने की क्षमता कम हो जाती है। ये जटिलताएं ज्यादातर समय के साथ बढ़ती जाती हैं। अक्सर इसके लक्षण तब तक दिखाई नहीं देते है जब तक हृदय को काफी क्षति नहीं हो जाती है। 40 से नीचे इजेक्शन फ्रैक्शन, सांस की तकलीफ, भूख में कमी, जी मिचलाना, लगातार खांसी होना, चक्कर आना, पैरों में सूजन और वजन बढ़ना, थकान महसूस होना या हृदय की धड़कन में अनियमितता जैसे लक्षण वाले मरीजों को बिना किसी देरी के हार्ट फेलियर विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए।
यह भी पढ़े : हृदय के बारे में विस्तृत जानकारी
यदि कोई हृदय रोगी किन्हीं कारणोवश अस्पताल नहीं आ पा रहा तो उसे क्या करना चाहिए?
जिन हृदय रोगियों को डॉक्टर परामर्श की आवश्यकता है या जिन्हें फौलो-अप विजिट की सलाह दी गई है उन्हें परामर्श में देरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह नुकसानदेह हो सकता है। यदि कोई रोगी अस्पताल नहीं आ पा रहा तो वें घर बैठे ही अपने डॉक्टर से (अपनी सुविधानुसार) ऑनलाइन परामर्श कर सकते है।
जिन हृदय रोगियों को डॉक्टर परामर्श की आवश्यकता है या जिन्हें फौलो-अप विजिट की सलाह दी गई है उन्हें परामर्श में देरी नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह नुकसानदेह हो सकता है। यदि कोई रोगी अस्पताल नहीं आ पा रहा तो वें घर बैठे ही अपने डॉक्टर से (अपनी सुविधानुसार) ऑनलाइन परामर्श कर सकते है।