हेप्लो आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट क्या है?
हेप्लो आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन (बीएमटी) स्टेम सेल ट्रांसप्लांटेशन की एक विधि है, जिसमें स्टेम सेल आधे एचएलए मिलान वाले माता-पिता या भाई से लिया जाता है वनिस्पत की पूरे एचएलए मिलान वाले किसी डोनर से।
- हेप्लो आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन के संकेत
यह सभी प्रकार के ब्लड कैंसर और आनुवंशिक विसंगतियों में सुझाया जाता है
- लेकिमिया
- लिंफोमा
- सिकल सेल एनीमिया
- सीवियर अप्लास्टिक एनीमिया
- थैलेसीमिया
- मायलोप्रोलिफेरेटिव डिसऑर्डर के प्रकार
- प्लाज्मा सेल डिसऑर्डर के प्रकार
सिकल सेल एनीमिया असामान्य हीमोग्लोबिन (लाल रक्त कोशिकाओं के भीतर ऑक्सीजन ले जाने वाले प्रोटीन) के कारण होने वाली रक्त की एक आनुवंशिक विकार है। असामान्य हीमोग्लोबिन के वजह से लाल रक्त कोशिकाएं सिकल के आकार की हो जाती हैं । यह उनकी ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता और रक्त प्रवाह की मात्रा को कम करता है। इससे खून की कमी हो जाती है, जिससे एनीमिया हो जाता है।
इस प्रक्रिया की सिफारिश कब की जाती है
- अपने भाई बहन का न होना
- सटीक मिलान खोजने में देरी
- रोग का खतरा बढ़ जाने वाले रोगियों को
- युवा रोगी
हेप्लो आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट कौन करता है?
हेप्लो आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट डॉक्टर्स की एक बहु-अनुशासनात्मक टीम द्वारा किया जाता है जो प्रशिक्षित बीएमटी विशेषज्ञ, हेमटोलॉजिस्ट और अन्य संबंधित विशेषज्ञों की निगरानी में होता है। हेप्लो आइडेंटिकल ट्रांसप्लांट को एक व्यापक अनुभव और अनुसंधान की आवश्यकता होती है। सभी बीएमटी विशेषज्ञ हेप्लो आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट नहीं कर सकते हैं। इसलिए उपचार केंद्र का चयन करते समय अनुभवी टीम और अनुसंधान प्रयोगशाला के साथ बीएमटी केंद्र का होना बहुत महत्वपूर्ण है।
हेप्लो आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट प्रक्रिया की तैयारी?
यह निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करता है
- रोगी की स्थिति।
- पिछला उपचार
- रोगी की आयु
यह प्रक्रिया पूरी तरह से नया है इसलिए इसको करने वाले अस्पताल का पता लगाना बेहद मुश्किल है। पहला कदम एक अच्छे अस्पताल का पता लगाना है। वहाँ किये गए सभी सफल ट्रांसप्लांट का लेखा जोखा लें।
हेप्लो आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट कैसे किया जाता है?
विभिन्न पद्धति। जैसे –
- विवो टी-सेल के साथ मायेलोएबेटिव रेजिम
- विवो टी-सेल रिक्तीकरण में मायेलोएबेटिव रिवीजन के साथ आता है
- टोटल बॉडी रेडिएशन (TBI) आधारित मायलोब्लेटिव रेजिमेंस का उपयोग किया जाता है
हेप्लो आइडेंटिकल प्रक्रिया में डोनर आमतौर पर आपके माता-पिता या आपके बच्चे होते हैं । माता-पिता अपने बच्चों के लिए एक आधा मैच होते हैं। भाई-बहनों में एक-दूसरे के लिए आधे -मैच होने की 50% संभावना है।
हेप्लो आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट हाई डोज़ कीमोथेरेपी के सहायता से किया जाता है।
डोनर से स्टेम सेल्स इकट्ठा करने के लिए उन्हें कुछ दवाएं इंजेक्ट किया जाता है जिससे स्टेम सेल बोन मैरो से रक्त में स्थानांतरित हो जाता है जिन्हें फिर ड्रिप के माध्यम से एक मशीन में एकत्र किया जाता है। यह मशीन बाकी रक्त से सफेद रक्त (स्टेम सेल युक्त) सेल को अलग करती है।
जब रोगी को ट्रांसफ़्यूज़ किया जाता है, तो एक सेंट्रल लाइन छाती के माध्यम से सीधे हृदय तक ले जाया जाता है जिससे स्टेम सेल सीधे हृदय से होता हुआ पूरे शरीर से बोन मैरो तक चला जाए। यहां वे स्थापित होते हैं और फैलना शुरू करते हैं। ये सत्र कई बार किए जाते हैं जिससे सफलता सुनिश्चित किया जा सके। सभी सत्र पूरे होने तक सेंट्रल लाइन बरकरार रहती है।
हेप्लो आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट से क्या उम्मीद रखें
चिकित्सीय परीक्षणों ने इस बात की पुष्टि की है कि प्रत्यारोपित मामलों का परिणाम अन्य चिकित्सकीय रूप से प्रबंधित मामलों से बेहतर होता है। इसे न केवल जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है बल्कि यह सिकल सेल रोग के लिए एकमात्र उपलब्ध उपचार है।
इस प्रक्रिया के बाद रखे जाने वाले देखभाल
- अधिक आयरन से बचें।
- स्वस्थ आहार खाएं
- संक्रमण से बचें
सिकल सेल एनीमिया से ग्रषित बच्चों में इसका दुष्प्रभाव इतना ज्यादा होता है कि उनका कोई सामाजिक जीवन नहीं रह पाता। हेप्लो आइडेंटिकल बोन मैरो ट्रांसप्लांट उनके जीवन को वापस लाने का एक सुनहरा मौका प्रदान करती है। हमारी टीम जिसे सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस प्रक्रिया में शामिल जोखिम और जटिलताएं
- ग्राफ्ट-वर्सज़-होस्ट डिज़ीज़ (जीवीएचडी) – हेप्लो आइडेंटिकल प्रक्रिया में होने की संभावना बढ़ जाती है
- डोनर सेल्स आपके शरीर के ऊतकों और अंगों पर हमला करते हैं
- इस प्रक्रिया के बाद कभी भी हो सकता है
- तीव्र या तत्काल जीवीएचडी त्वचा, पाचन तंत्र या लिवर को प्रभावित करता है।
- क्रानिक या देरी से जीवीएचडी कई अंगों को प्रभावित करता है। जिनके लक्षण हैं
- जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द
- दस्त
- जी मिचलाना
- उल्टी
- सांस चढ़ना
- खांसी
- आँखों का सूखापन
- त्वचा में बदलाव
- चकत्ते पड़ना
- त्वचा और आंखों में पीलापन आना (पीलिया)
- मुँह सुखना
- मुंह के छाले
- ग्राफ्ट-फेल होने पर जब प्रत्यारोपित कोशिकाएं नई कोशिकाओं का निर्माण नहीं करती हैं
- फेफड़े, मस्तिष्क में रक्तस्राव
- आंख के लेंस में सफ़ेद झिली आना
- महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान
- वक्त से पहले मीनोपॉज आना
- एनीमिया-जब शरीर पर्याप्त लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन नहीं कर पाती
- संक्रमण
- मतली, दस्त, या उल्टी
- म्यूकोसाइटिस- मुंह, गले और पेट में सूजन और खराश
डॉ. सुपर्णो चक्रवर्ती, विभागाध्यक्ष और सीनियर कंसलटेंट – बोन मैरो ट्रांसप्लांट, हैमेटो ऑन्कोलॉजी, ऑन्कोलॉजी, धर्मशीला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली