बच्चेदानी के मुंह का कैंसर महिलाओं में होने वाले कैंसर में दूसरे स्थान पर आता है। यह न केवल रोका जा सकता है अपितु इसे बहुत जल्दी पकड़ा जा सकता है और समय पर पकड़ा जाए तो इसका पूर्णतः इलाज भी संभव है। बच्चे दानी से गंदें पानी का रिसाव, माहवारी का अनियमित होना, संभोग के समय खून आना, कमर या पैर में अधिक दर्द होना या पेशाब में रूकावट इसके प्रारंभिक लक्षण हैं। अधिक बच्चे होना, कई पुरूषों से यौन संबंध, गुप्तांगों की सफाई में कमी या एड्स इसके खतरे को बढ़ा देते हैं। पर खुशखबरी यह है कि इसके बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है जो 9 साल की उम्र से लेकर 45 वर्ष तक की महिलाओं को दी जानी चाहिए। नियमित पैंप स्मीयर द्वारा इसको पहली स्टेज से भी पहले पकड़ा जा सकता है। पहली स्टेज में आपरेशन या रेडियोथेरेपी द्वारा इसका इलाज किया जा सकता है। यदि कैंसर दूसरी स्टेज से ऊपर है तो रेडियोथेरेपी के साथ कीमोथेरेपी के प्रयोग से इस पर विजय पाई जा सकती है। एडवांस स्टेज में भी रोगी के लक्षणों को काबू किया जा सकता है और उम्र बढ़ा पाना संभव है। रेडियो थैरेपी में किरणों द्वारा बिना किसी दर्द के मिनटों में इसका इलाज किया जाता है। टेलीथेरेपी और ब्रेकीथेरेपी दोनों के प्रयोग से महिला पूरी तरह स्वस्थ होकर सुखमय जीवन व्यतीत कर सकती है। आखिरी स्टेज में भी इम्यूनोथेरेपी से इसको काबू किया जा सकता है। इसलिए डरिए मत।कैंसर के लक्षणों को समय रहते पहचानिए। यौन संबंधों में सतर्कता बरतें। गुप्तांगों की सफाई का विशेष ध्यान रखें।नियमित जांच करवाएं। वैक्सीन लगवाएं। कोई कैंसर का लक्षण हो तो उसे अनदेखा न करें। कैंसर स्पेशलिस्ट से तुरंत इलाज करवाएं। अच्छा भोजन खाएं। व्यायाम करें। और हंसते खेलते, मुस्कुराते हुए अपने परिवार के साथ आनंदित जीवन व्यतीत करें। सदा स्वस्थ रहें।
डॉ. इंदु बंसल अग्रवाल | सीनियर कंसल्टेंट – ओंकोलॉजी, रेडिएशन ओंकोलॉजी | नारायणा सुपरस्पेशयलिटी हॉस्पिटल गुरुग्राम