ऑस्टियोआर्थराइटिस से पीड़ित लोगों के समक्ष अनगिनत प्रश्नहोते हैं, उनमें से एक महत्वपूर्ण यह है कि अगर घुटने का प्रतिस्थापन ना करवाया जाए तो क्या होगा। इस संबंध में बेहतर जीवन के दावा करने वाले उन तमाम डाटा और प्रशंसापत्रों का अब तक आप अवलोकन कर लिए होंगे, लेकिन जैसे हीं इस पर आने वाले लगत से आपका सामना होता है तो आप एक बार फिर पहले वाले प्रश्न पर लौट जाते हैं। आइए विचार करें की सर्जरी में देरी होने पर क्या होता है।
- घुटने की विकृति का बिगड़ना
- ऑस्टियोआर्थराइटिस के मामले में, घुटने के जोड़ में सूजन के साथ स्राव पैदा होती है। हड्डी के छोर पर व्याप्त सुरक्षात्मक कुशनिंग घिस जाता है जिससे इन्फ्लमैशन और अधिक बढ़ाता है। अपक्षयी प्रक्रिया के बहुत सारे मेटाबोलाइट्स जोड़ के स्थान पर जमा होने लगते हैं। सुरक्षात्मक कुशन के घिसने के कारण हड्डियों के छोरों के बीच की जगह कम होती जाती है जिससे जोड़ों में विकृति आती है। इस से पैर टेढ़ा होने लगता है और आपको चलने में परेशानी महशुस होता है।
- इससे आपके पैर की लंबाई पर असर पड़ता है जिस के कारण सर्जरी बहुत मुश्किल हो जाता है।
- पैर में विकृति आ जाने के बाद विशेष प्रकार के प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में जिस स्थान पर सर्जरी होना है उसको खोजना मुश्किल हो जाता है और ऐसे में सर्जरी बेहद जटिल हो जाती है और इसमें अधिक समय लगता है।
- ऐनिस्थीश़ में अधिक समय लगता है जिसके अपने खतरे हैं।
- जोड़ों में कठोरता का बढ़ना
- दर्द और इन्फ्लमैशन बने रहने की स्थिति में जोड़ों को बदला नहीं जा सकता
- मूवमेंट की कमी के परिणामस्वरूप जॉइंट कैप्सूल, मांसपेशियों, लिगमन्ट में कमजोरी तथा अकड़न आ जाता है। इससे जोड़ सख्त हो जाता है।
- सर्जरी से पहले जोड़ में आई कठोरता सर्जरी के बाद आने वाले गतिशीलता को प्रभावित कर सकती है।
- मांसपेशियों की ताकत का कम होना
- दर्द के कारण मूवमेंट कम हो जाता है
- मूवमेंट में कमी मांसपेशियों की शक्ति प्रभावित करता है
- मूवमेंट में कमी के कारण मांसपेशियों में कमजोरी आती है और इनका लचीलापन जाता रहता है और ये ढीला पड़ जाते हैं।
- सर्जरी के बाद भी ऐसी मांसपेशियों में ताकत का वापस आना मुश्किल हो जाता है।
- अनुपूरक समस्याएं
- उपरोक्त सभी कारणों के परिणामस्वरूप व्यक्ति जिस पैर में दर्द ना हो उस पर सारा भार लेने लगते हैं
- यह कई अन्य समस्याओं के साथ शरीर के पोस्चर पर बुरा प्रभाव डालता है
- पीठ दर्द
- गैर-ऑस्टियोआर्थ्रिटिक घुटने में दर्द
- कभी-कभी कंधे में दर्द
- ऐसी समस्याएं बाद में स्थायी हो सकती हैं और सर्जरी के बाद अन्य उपचार की आवश्यकता पड़ सकती है।
- आयुर्वृद्धि
आप का उम्र हमेशा बढ़ता रहता है और आप जब तक सर्जरी के लिए तैयार होते हैं, तब तक आपकी उम्र सर्जरी के लायक नहीं रह जाती इसी तरह मूवमेंट में आई कमी के कारण आपका शारीरिक स्वास्थ्य भी धोखा दे सकता है। इन स्थिति में –
- भार बढ़ना
- शहनशीलता में कमी
- उच्च रक्तचाप जैसी हृदय संबंधी स्थितियां
- पुल्मनेरी मुद्दों
- ये चिंताएं उन लोगों के लिए है जो जोड़ प्रतिस्थापन को लंबे समय तक नहीं करवाते और फिर ऐसे स्थिति में कोई ऑर्थोपेडियन भी उनकी मदद नहीं कर सकता।
- गुणवत्ता समायोजित जीवन
- दैनिक गतिविधियों को करने में कठिनाई
- दूसरे व्यक्ति पर निर्भरता
- जीवन में ठहराव
सर्जरी को स्थगित रखने से संबंधित तमाम खतरों की जानकारी लेने के बाद अपना निर्णय बनाएं। एक सही अस्पताल खोजें, सर्जन से बात करें। स्वतंत्र हो कर ज्यादा से ज्यादा प्रश्न पूछें। इस सर्जरी के संबंध में अस्पताल के सफल मामलों का लेखा जोखा लें। आज आपके पास चुनने की शक्ति है। सोच के चुनें! अनावश्यक रूप से सर्जरी में देरी करना कोई विकल्प नहीं है, क्योंकि देर होने पर आपके लिए कोई विकल्प नहीं बचता।
डॉ. राजेश वर्मा, डायरेक्टर और सीनियर कंसलटेंट – ऑर्थोपेडिक्स, स्पाइन सर्जरी, नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम और धर्मशीला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली