हाल ही में हमने अपनी माता जी का गुर्दा प्रत्यारोपण करवाया है। जानना चाहता हूं कि इसके बाद कौनसी सावधानियां रखना चाहिए?
गुर्दा प्रत्यारोपण में किसी दाता से स्वस्थ्य गुर्दा लेकर क्षतिग्रस्त गुर्दे को उससे बदल दिया जाता है। यह किसी और का गुर्दा होता है इसलिए तब तक दवाईयां लेना जरूरी है जब तक कि शरीर इस नए गुर्दे को स्वीकार नहीं कर लेता।
गुर्दा प्रत्यारोपण के पश्चात इन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए:
हेल्दी जीवनशैली अपनाएं ताकि जटिलता की आशंका न्यूनतम हो। अगर आप धुम्रपान करते हैं तो छोड़ दें। पोषक भोजन का सेवन करें। अगर आपका वज़न अधिक है तो वज़न घटाएं। संकमण से बचने के लिए जरूरी उपाय करें। ऐसे स्थान/व्यक्ति से दूर रहें जिससे संक्रमण फैलने का डर हो। बीमार हों तो डॉक्टर की सलाह के बिना दवाई न लें। जब भी किसी डॉक्टर के पास इलाज के लिए जाएं उसे गुर्दा प्रत्यारोपण के बारे में बताएं।
मेरे पिताजी की उम्र 52 वर्ष है। पिछले तीन वर्षों से उनका डायलिसिस चल रहा है। क्या उनके लिए किडनी प्रत्यारोपण ठीक रहेगा?
किडनी का मुख्य कार्य व्यर्थ पदार्थों को यूरीन में बदलकर उन्हें शरीर के बाहर निकालना है। जब किडनी अपनी क्षमता खो देती है, व्यर्थ पदार्थ शरीर में एकत्र होने लगते हैं, जो जीवन के लिए खतरा हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में डॉक्टर डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण की सलाह देते हैं।
अधिकतर लोग गुर्दा प्रत्यारोपण करा सकते हैं, इससे कोई अंतर नहीं पड़ता कि उनकी उम्र क्या है। यह प्रक्रिया उन सबके लिए उपयुक्त है जिन्हें एनेसथिसिया दिया जा सकता है और कोई ऐसी बीमारी नही है जो ऑपरेशन के पश्चात बढ़ जाए जैसे कैंसर आदि। हर वह व्यक्ति गुर्दा प्रत्यारोपण करा सकता है जिसके शरीर में सर्जरी के प्रभावों को सहने की क्षमता हो।
गुर्दा प्रत्यारोपण की सफलता की दर दूसरे प्रत्यारोपण से तुलनात्मक रूप से अच्छी होती है। जिन्हें गंभीर हृदय रोग, कैंसर या एड्स है उनके लिए प्रत्यारोपण सुरक्षित और प्रभावकारी नहीं है।
मैं 38 वर्षीय एक वकील हूं। मेरे परिवार में किडनी से संबंधित बीमारियों का इतिहास रहा है। कृप्या बताएं कि कौनसी सावधानियां रखकर में इससे बच सकता हूं?
जीवनशैली में कुछ परिवर्तन लाकर गुर्दों के रोगों के खतरे को कम किया जा सकता है, इसमें सम्मिलित है: संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करें। अधिक मात्रा में अल्कोहल का सेवन ना करें। नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। उन दवाईयों के सेवन से बचें जो किडनी को नुकसान पहुंचाती हैं। शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। अपने रक्त में शूगर के स्तर को नियंत्रित रखें। नमक का सेवन कम करें। अपना वजन नियंत्रित रखें। धुम्रपान ना करें।
मैं जानना चाहता हूं कि गुर्दों के रोगों के प्रमुख लक्षण क्या होते हैं?
अधिकतर लोगों में गुर्दों के रोगों के गंभीर लक्षण दिखाई नहीं देते जब तककि उनका रोग एडवांस स्टेज तक नहीं पहुंच जाता। हालांकि गुर्दों के रोगों के सामान्य लक्षण निम्नलिखित हो सकते हैं: अधिक थका हुआ और कम उर्जावान महसूस करना। ध्यानकेंद्रन में समस्या आना। भूख कम लगना। सोने में समस्या आना। मांसपेशियों में खिंचाव व ऐंठन। पैर और टखने फूल जाना। सूखी और खुजली वाली त्वचा। रात में बार-बार मूत्र त्याग करना। छाती में दर्द। सांस फूलना। उच्च रक्तचाप जिसे नियंत्रित करना कठिन हो।
मेरी पत्नी के गॉल ब्लैडर में पथरी हो गई है। डॉक्टर ने सर्जरी के द्वारा गॉल ब्लैडर ही निकालने की सलाह दी है? जानना चाहता हूं इसे निकालने से कोई स्वास्थ्य समस्या तो नहीं होगी?
सर्जरी के द्वारा स्टोन के साथ गॉल ब्लेडर को भी निकाल दिया जाता है क्योंकि अगर इसे न निकाला जाए तो इसमें फिर से स्टोन विकसित हो सकता है। गॉल ब्लेडर को निकालने के लिये की जाने वाली लैप्रोस्कोपी सर्जरी को कोलेसिस्टेकटॉमी कहते हैं। इस तकनीक के द्वारा सर्जरी कराने पर अधिक दिनों तक अस्पताल में भी नहीं रहना पड़ता है।
एक बार जब गॉल ब्लेडर निकल जाता है तो बाइल गॉल ब्लेडर में स्टोर होने की बजाय सीधे आपके लीवर से बहकर छोटी आंत में चला जाता है। आपको जीने के लिये गॉल ब्लेडर की आवश्यकता नहीं है, गॉल ब्लेडर को निकालने से आपकी भोजन को पचाने की शक्ति प्रभावित नहीं होती है, लेकिन गॉल ब्लेडर के न होने से कईं निश्चित स्वास्थ्य समस्याएं जैसे फैटी लीवर, अपच होने का खतरा बढ़ जाता है। अत्यावश्यक फैटी एसिड्स और वसा में घूलनशील पोषक तत्वों की कमी विकसित हो सकती है।
डायग्नोसिस में पता चला है कि मेरे पति की किडनी काफी क्षतिग्रस्त हो चुकी है। मैं जानना चाहती हूं कि किडनी फेलियर क्या होता है?
किडनी फेलियर तब होता है जब किसी व्यक्ति की किडनी उसके रक्त से अचानक व्यर्थ पदार्थों को फिल्टर करना बंद कर देती है। जब किडनी फिल्टर करने की क्षमता खो देती है, शरीर में व्यर्थ पदार्थ खतरनाक स्तर तक इकट्ठा हो जाते हैं, और रक्त में रसायनों का संतुलन गड़बड़ा जाता है।
एक्यूट किडनी फेलियर को एक्यूट रीनल फेलियर भी कहते हैं। यह स्थिति कुछ घंटो या कुछ महीनों में विकसित हो सकती है। अत्यधिक बीमार लोगों में किडनी फेलियर कुछ ही घंटों में हो जाता है।
किडनी फेलियर उसे कहते हैं जब किडनी अपनी सामान्य गतिविधियों का पांच प्रतिशत से भी कम कर पाती है। इसे एंड स्टैज रीनल डिसीज़ (ईएसआरडी) कहते हैं इस समस्या से डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के द्वारा निपटा जा सकता है।
किडनी प्रत्यारोपण क्या होता है? प्रत्यारोपित किडनी कितने समय तक कार्य करती है?
किडनी प्रत्यारोपण में दानकर्ता के स्वस्थ गुर्दे से क्षतिग्रस्त गुर्दे को बदल दिया जाता है। स्वस्थ्य गुर्दा जीवित दाता या मृत्यु के पश्चात अपने शरीर के अंगों का दान करने के इच्छुक दान दाता के द्वारा प्राप्त किया जाता है। आपरेशन के बाद मरीज को लगभग 10 दिन अस्पताल में रहना होता है जब कि दान दाता 3-7 दिन में डिस्चार्ज हो जाता है लेकिन प्राप्तकर्ता को पूरी तरह सामान्य जीवन जीने में 2-3 महीने का समय लगता है।
गुर्दे कितना चलेग यह इस पर निर्भर करता है कि वो किस डोनर से आया है, गुर्दे का ब्लड ग्रुप और टिशु कितने बेहतर तरीके से मैच होते हैं। जिस व्यक्ति ने गुर्दे प्राप्त हुआ है उसकी उम्र कितनी है और उसका स्वास्थ्य कैसा है।
80-90 प्रतिशत लोगों में एक साल तक।
70-80 प्रतिशत लोगों में प्रत्यारोपण के पांच साल बाद तक।
50 प्रतिशत लोगों की 10 वर्ष तक।
किडनी रोग या संक्रमण के कारण किडनी खराब हो गई हो या किडनी फेल हो गई हो तो किसी स्वस्थ व्यक्ति से बीमार व्यक्ति में किडनी का प्रत्यारोपण करना आवश्यक हो जाता है। जिन लोगों की किडनी बिल्कुल काम नहीं कर रही है या बहुत कम काम कर रही है उन्हें भी किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी जाती है।
डा. सुदीप सिंह सचदेव | नेफ्रोलॉजिस्ट | नारायणा सुपर स्पेशेलिटी हास्पिटल, गुरुग्रम
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