प्रश्न: मैं किडनी का मरीज हूं। मुझे अभी-अभी डायग्नोज हुआ है कि मुझे डायबिटीज है। किडनी की स्थिति के बारे में जानने के लिए और क्या-क्या जांच करानी चाहिए?
उत्तर: किडनी के मरीज में सबसे पहले डायबिटीज का लक्षण यह दिखाई देता है कि उसके यूरीन में प्रोटीन निकलने लगता है। यूरीन की जांच करानी चाहिए कि कितनी मात्रा में प्रोटीन निकल रहा है। सबसे पहले किडनी का फंक्शन जानने के लिए केएफटी (किडनी फंक्शन टेस्ट) कराना चाहिए। इससे पता चल जाएगा कि क्रिएटनिन का स्तर क्या है। अगर क्रिएटनिन का स्तर बढ़ रहा है, इसका मतलब है कि किडनी फेलियर शुरू हो गया है।
प्रश्न: डायबिटीज के कारण किडनी किस प्रकार प्रभावित होती है इसके लिए कौन-कौन से टेस्ट कराने चाहिए।
उत्तर: डायबिटिक-किडनी डिसीज को डायबिटिक-नेफ्र ोपैथी कहते हैं। डायबिटीज के कारण किडनी तीन स्तर पर प्रभावित होती है।
यूरीन में कम मात्रा में प्रोटीन निकलना।
यूरीन में अधिक मात्रा में प्रोटीन निकलना।
किडनी की कार्यप्रणाली असामान्य हो जाना।
अगर आप डायबिटीज से पीडि़त हैं और आपको किडनी संबंधी समस्याएं भी हो गई हैं तो आपको निम्न जांचे करानी चाहिए:
क यूरीन की सामान्य जांच।
क कम मात्रा में प्रोटीन निकलने की जांच (माइक्रो एल्बुमेनैरिया)।
क अधिक मात्रा में प्रोटीन निकलने की जांच (मैक्रो एल्बुमिनुरिया)।
क किडनी की कार्य प्रणाली की जांच (किडनी फं क्शनिंग टेस्ट)।
प्रश्न: डायबिटीज के मरीजों में किडनी खराब होने के अलावा और कौन-कौन से खतरे होते हैं?
उत्तर: डायबिटीज के रोगियों में यूरीन के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि उनका रोग प्रतिरोधक तंत्र कमजोर हो जाता है। इसमें यूरीन के सामान्य संक्रमण से लेकर गंभीर संक्रमण पॉली नेफ्र ाइटिस का खतरा भी बढ़ जाता है।
प्रश्न: डायबिटीज के रोगियों में किडनी से संबंधित समस्याओं को कौन-कौन से लक्षण दिखाई देते हैं?
उत्तर: यूरीन में प्रोटीन निकलने लगता है जिससे रक्त में प्रोटीन की मात्रा कम हो जाती है। इससे आंखों के आसपास सूजन आना शुरू हो जाती है, सुबह सोकर उठने पर यह सूजन अधिक दिखाई देती है। पैरों में सूजन आ जाती है और फिर पूरा शरीर सूजने लगता है। सूजन कितनी गंभीर होगी यह यूरीन में निकलने वाले प्रोटीन की मात्रा पर निर्भर करता है। इसके अलावा काम में मन नहीं लगना, कमजोरी, जी मचलाना, उल्टी होना जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। अंत में स्थिति गंभीर होने पर किडनी ठीक प्रकार से यूरीन का निर्माण नहीं कर पाती और मरीज को पेशाब कम आने लगती है।
प्रशन: डायबिटीज के कारण किडनी के खराब होने का खतरा कितना बढ़ जाता है?
उत्तर: डायबिटीज के रोगियों में न केवल यूरीन के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है बल्कि वो हृदय रोग, फेफड़ों के संक्रमण और उच्च रक्तदाब के भी आसान शिकार हो जाते हैं। इससे किडनी पर और अधिक प्रभाव पड़ता है। जिन्हें डायबिटीज है उनकी किडनी उन लोगों की तुलना में जल्दी खराब हो जाती है जिन्हें डायबिटीज नहीं है। डायबिटीज के रोगियों की किडनी तेजी से खराब होती है और वो डायलिसिस की ओर तेजी से बढ़ते हैं।
प्रश्न: किडनी को स्वस्थ्य रखने के लिए डायबिटीज को नियंत्रित रखना क्यों जरूरी है?
उत्तर: रक्त में शूगर का स्तर जितना अधिक नियंत्रित रहेगा उतना किडनी पर कम प्रभाव पड़ेगा और किडनी उतने ही अधिक समय तक खराब नहीं होगी। अगर आप डायबिटीज के रोगी हैं तो किसी अच्छे नेफ्रोलॉजिस्ट को दिखाएं। डॉक्टर द्वारा सुझाई दवाईयां नियमित रूप से लें। दवाईयां यूरीन में प्रोटीन के निकलने को कम करती हैं और उसे बीमार होने से बचाती हैं।
प्रश्न: डायबिटीज के रोगी को क्या सावधानियां रखना चाहिए?
उत्तर: यूरीन में प्रोटीन की जांच करानी चाहिए, अगर प्रोटीन अधिक मात्रा में निकल रहा है तो नियमित अंतराल पर यह जांच कराएं और उचित दवाईयों का सेवन करें। अपने खानपान का ध्यान रखें। अगर आप संतुलित और पोषक भोजन का सेवन करेंगे और दवाईयां समय पर लेंगे तो न केवल आपकी शूगर नियंत्रण में रहेगी बल्कि किडनी के खराब होने का खतरा भी कम हो जाएगा।
डा.सुदीप सिंह सचदेव | नेफ्रोलॉजिस्ट | नारायणा सुपर स्पेशेलिटी हास्पिटल, गुरुग्रम
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