कैंसर में शरीर की कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती है। जब यह फेफड़ों में हो, तो उसे लंग कैंसर या फेफड़ों का कैंसर कहा जाता है। यह कैंसर से होने वाली मौत का प्रमुख कारण माना जाता है। भारत में भी इसके मरीजों की संख्या बढ़ रही है। जबकि शोध बताते हैं कि अमेरिका में पुरुषों और महिलाएं में फेफड़ों का कैंसर दूसरा सबसे अधिक पाया जाने वाला कैंसर है। इस कैंसर को रोकने के लिए तमाम तरह के इलाज तो उपलब्ध ही हैं, साथ ही जागरुकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं।
फेफड़े का कैंसर का सबसे बड़ा कारण धूम्रपान है। इसके अलावा यह दूसरे कारणों से भी होता है। जिनमें तंबाकू चबाना, धुएं के संपर्क में आना, घर या काम पर एस्बेस्टस या रेडॉन जैसे पदार्थों के संपर्क में आना शामिल है। इसके अलावा यह पारिवारिक इतिहास के कारण भी हो सकता है (lungs cancer ke symptoms)। लेकिन फिर भी आमतौर पर यही माना जाता है कि जो लोग अधिक धूम्रपान करते हैं, उन्हें फेफड़ों का कैंसर हो जाता है। यानी इसका सबसे अधिक खतरा बना रहता है। इसके साथ ही कैंसर नशीले पदार्थों जैसे गुटखा, तंबाकू के सेवन से भी हो सकता है। अगर रोकथाम की तरफ शुरुआत में ही ध्यान दे दिया जाए, तो इससे खुद को बचाया जा सकता है।
फेफड़ों के कैंसर के लक्षण क्या हैं
फेफड़ों का कैंसर होने पर कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं (lung cancer symptoms)। जिनमें खांसी से लेकर छाती में दर्द होना तक शामिल है (lungs cancer symptoms)।
- अधिक समय तक खांसी रहना
- छाती में दर्द होना
- सांस लेने में कठिनाई होना
- खांसी में खून का आना
- हर समय थकान महसूस होना
- बिना किसी कारण वजन कम होना
- भूख का ना लगना
- आवाज का बैठ जाना
- सिर में दर्द होना
- हड्डियों में दर्द रहना
धूम्रपान कैसे फेफड़ों के कैंसर का कारण बनता है
डॉक्टरों का मानना है कि धूम्रपान फेफड़ों में मौजूद कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाकर फेफड़ों के कैंसर का कारण बनता है। जब आप सिगरेट के धुएं को अपने अंदर लेते हैं, जो कैंसर पैदा करने वाले पदार्थों (कार्सिनोजेन्स) से भरा होता है, इससे फेफड़े के ऊतकों में परिवर्तन होना शुरू हो जाता है (lung cancer causes)। ऐसी स्थिति में सबसे पहले आपका शरीर इस नुकसान की मरम्मत करने में सक्षम हो सकता है। लेकिन बार-बार धुएं के संपर्क में आने से फेफड़ों वाली सामान्य कोशिकाएं तेजी से क्षतिग्रस्त होने लगती हैं। समय के साथ-साथ क्षति के कारण कोशिकाएं असामान्य रूप से कार्य करने लगती हैं। इससे अंततः कैंसर विकसित हो सकता है।
फेफड़ों के कैंसर के स्टेज क्या हैं
स्मॉल-सेल लंग कैंसर स्टेज- अगर आपको इस तरह का कैंसर है, तो आपका डॉक्टर इसे टीएनएम भी बता सकता है। डॉक्टर एनएससीएलसी के लिए सामान्य स्टेज का भी उपयोग कर सकते हैं (lung cancer stages)। इनमें से प्रत्येक के लिए TNM प्रणाली और संख्याओं का उपयोग भी होता है।
गुप्त अवस्था: कैंसर वाले सेल आपके द्वारा खांसने के दौरान आने वाले बलगम तक पहुंच सकते हैं। इसे ट्यूमर इमेजिंग स्कैन या बायोप्सी पर नहीं देखा जा सकता। इसे हिडन कैंसर भी कहते हैं।
स्टेज 0: इस अवस्था में कैंसर ट्यूमर बहुत छोटा होता है। इसमें कैंसर की कोशिकाएं फेफड़ों के गहरे टिशू में या फेफड़ों के बाहर नहीं फैली होती हैं।
स्टेज 1: इस स्थिति में कैंसर फेफड़ों के सेल्स में होता है, ना कि लिम्फ नोड्स में।
स्टेज 2: हो सकता है कि बीमारी फेफड़ों के पास मौजूद लिम्फ नोड्स में फैल गया हो।
स्टेज 3: इस स्थिति में कैंसर लिम्फ नोड्स और छाती के बीच में फैल गया होता है।
स्टेज 4: इस स्थिति में कैंसर शरीर में व्यापक रूप से फैल गया होता है। हो सकता है कि यह मस्तिष्क, हड्डियों या यकृत में फैल गया हो।
अडवांस लंग कैंसरे के लक्षण क्या हैं
- थकान- इसमें अत्यधिक शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक थकान शामिल हो सकती है।
- भावनात्मक परिवर्तन- कुछ लोगों को पता चलता है कि वे उन चीजों में कम दिलचस्पी लेते हैं, जिनमें कभी उनकी रुचि रहा करती थी।
- दर्द- इसमें गंभीर दर्द और परेशानी हो सकती है, लेकिन आप जीवन की गुणवत्ता में सुधार करके दर्द को दूर कर सकते है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर दवा देते हैं।
- सांस लेने में दिक्क्त- सांस की तकलीफ और सांस लेने में तकलीफ असामान्य नहीं है (advanced lung cancer symptoms )। आप ऐसी तकनीकें सीख सकते हैं, जो इस स्थिति में आपके काम आ सकती हैं। जिससे आपको सांस लेने में आराम मिलेगा।
- खांसी- वायुमार्ग को अवरुद्ध करने वाले ट्यूमर के कारण लगातार खांसी हो सकती है। आपके डॉक्टर खांसी को कम करने में सहायता के लिए दवा दे सकते हैं।
- रक्तस्राव- अगर ट्यूमर एक प्रमुख वायुमार्ग में फैलता है, तो इससे रक्तस्राव हो सकता है। आपके डॉक्टर इस स्थिति में आपकी मदद कर सकते हैं।
- भूख में बदलाव- थकान, बेचैनी और कुछ दवाएं भूख कम कर सकती हैं। खाना पहले की तरह स्वादिष्ट नहीं लगता और पेट भरा-भार सा लगने लगता है।
डॉ आशुतोष दस शर्मा | रेडीएशन ओंकोलोजिस्ट | एनएच एमएमआई नारायणा सुपरस्पैशलिटी हॉस्पिटल, रायपुर