मधुमेह की बीमारी को डायबिटीज और शुगर भी कहा जाता है। ये बीमारी अनुवाशिंक भी होती है और खराब जीवनशैली के कारण भी होती है। मधुमेह के मरीजों को अपने खाने-पीने का विशेष ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि मधुमेह के मरीज का ब्लड शुगर लेवल का ना तो सामान्य से अधिक होना ठीक रहता है और ना ही सामान्य से कम होना ठीक रहता है। ऐसे में इसकी जांच कर लेवल का पता लगाते रहना चाहिए । अगर मधुमेह का लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाए या फिर बहुत ज्यादा कम हो जाए, तो दोनों ही स्थिति में मरीज की सेहत पर खतरा मंडराता है। ये दोनों ही स्थितियां जानलेवा मानी जाती हैं।
डायबिटीज क्या है? जब शरीर के पैन्क्रियाज में इन्सुलिन की कमी हो जाती है, मतलब कम मात्रा में इन्सुलिन पहुंचता है, तो खून में ग्लूकोज की मात्रा भी ज्यादा हो जाती है। इसी स्थिति को डायबिटीज कहते हैं। इन्सुलिन की बात करें, तो यह एक तरह का हार्मोन होता है। जो शरीर के भीतर पाचन ग्रंथि से बनता है। इसका काम भोजन को ऊर्जा में बदलना होता है। ऐसे में इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि मधुमेह के मरीज कब और क्या खा रहे हैं। इससे ब्लड शुगर का लेवल नियंत्रित रहता है। इसके लिए डॉक्टर दवाएं देते हैं और कई घरेलू नुस्खे भी हैं, जिनकी मदद से मधूमेह को नियंत्रण में रखा जा सकता है।
मधुमेह के लक्षण क्या हैं?
तो चलिए अब शुगर के लक्षण मतलब ब्लड शुगर के लक्षण के बारे में जान लेते हैं-
- अधिक प्यास लगना
- अधिक पेशाब आना
- अधिक भूख लगना
- वजन कम होना
अगर मामला गंभीर है, तो ये लक्षण भी दिख सकते हैं-
- बेहोशी आना
- दौरा पड़ना
- व्यवहारिक बदलाव
मधुमेह का लेवल उन मरीजों में कम होता है, जो आमतौर पर डायबिटीज के टाइप-1 और टाइप-2 से जूझ रहे होते हैं। हालांकि इस बीमारी के अधिकतर मामले हलके और सामान्य ही होते है, ना कि इमरजेंसी वाले।
डायबिटीज के विभिन्न अंगो पर क्या असर होता हैं?
तो चलिए अब ज्यादा ब्लड शुगर के असर के बारे में जान लेते हैं-
आंखों पर प्रभाव पड़ना– अगर लंबे वक्त तक ब्लड ग्लूकोज का लेवल अधिक रहे, तो इसकी वजह से आंखों के लेंस में अवशोषण हो सकता है। यानी आंखों पर प्रभाव पड़ने लगता है। इससे आंखों के आकार और नजर में बदलाव आता है।
डायबिटिक डर्माड्रोम– मधुमेह की वजह से त्वचा पर चकत्ते होने लगते हैं।
डायबिटीज कीटोएसिडोसिस– इसका मतलब मेटाबोलिक प्रोसेस में होने वाली गड़बड़ी से है। जिसकी वजह से उलटी, पेट दर्द, घबराहट, गहरी सांस और बेहोशी जैसी हालत हो जाती है। डायबिटीज के टाइप-1 से जूझ रहे लोग इसका अनुभव कर सकते हैं।
पेरीफेरल डायबिटिक न्यूरोपैथी- ये स्थिति तब उत्पन्न होती है, जब खून में ग्लूकोज की मात्रा अधिक हो जाती है। जिससे नसों को भी नुकसान पहुंचता है। ऐसी हालत में मरीज को लगता है कि उसके पैरों में सुई चुभ रही है। यानी पैरों में एक अलग तरह की झनझनाहट होती है और चलने में दिक्कत आने लगती है।
डायबिटीज रेटिनोपैथी– मधुमेह की इस स्थिति में आंखों पर बुरा प्रभाव पड़ने लगता है। जिससे रेटिना के भीतर स्थित ब्लड वेसल डैमेज हो सकते हैं। इसके कारण ब्लाइंडनेस का जोखिम बढ़ जाता है।
मानसिक स्वास्थ्य- टाइप-2 डायबिटीज की वजह से मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। जिसकी वजह से मरीज डिप्रेशन और एंग्जाइटी का शिकार हो जाता है। मानसिक संतुलन को बनाए रखने के लिए खून में शुगर का लेवल सही मात्रा में होना जरूरी हो जाता है।
ह्यापरसोमोलर नॉन-केटोटिक स्टेट – ये स्थिति भी टाइप-2 डायबिटीज के मरीज में ही देखने को मिलती है। इसके पीछे की वजह पानी की कमी भी होती है। इसलिए डायबिटीज के मरीज को शरीर में पानी की कमी नहीं होने देनी चाहिए। इसी कमी के कारण दूसरी कई बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। तो चलिए अब शुगर के लक्षण और इलाज के बारे में जान लेते हैं।
डायबिटीज के लक्षण और उपाय क्या हैं?
डायबिटीज के लक्षण और निदान के बारे में जानना मरीजों के लिए बहुत जरूरी है। ताकि मधुमेह की वक्त पर पहचान हो सके और इसका इलाज भी हो सके । मधुमेह के मरीज का मीठा खाने का अधिक मन करता है तो ऐसे में परिवार को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह मीठा ना खाए. इसके साथ ही जीवनशैली का भी पूरी तरह ध्यान रखना चाहिए।
अब मधुमेह के लक्षण के बाद इसके इलाज के बारे में जान लेते हैं-
मधुमेह यानी डायबिटीज के इलाज के जरिए खून में मौजूद शुगर के स्तर को नियंत्रित किया जाता है। ताकि इससे होने वाली जटिलताओं को रोका जा सके।
पोषण– डायबिटीज के टाइप-1 और टाइप-2 में ना केवल खाने से जुड़ी जानकारी का ध्यान रखना होता है, बल्कि इस बात पर भी जोर देना होता है कि खाना कब और कितना खाना चाहिए।
शारीरिक गतिविधि– डायबिटीज के टाइप-2 से बचाव के लिए शारीरिक गतिविधियां करना जरूरी होता है। इससे मधुमेह नियंत्रण में रहता है। इसके साथ ही हृदय रोग और ब्लड शुगर से जुड़ी जटिलताओं को भी रोकने में मदद मिलती है।
दवाएं– टाइप-2 डायबिटीज के मरीज के लिए केवल शरीरिक गतिविधि और स्वस्थ खाने का सेवन करना ही काफी नहीं होता है, बल्कि उन्हें दवाओं का सेवन भी करना |
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मधुमेह के कारण क्या हैं-
टाइप 1 मधुमेह के कारण- प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अग्न्याशय में इंसुलिन-उत्पादक बीटा कोशिकाओं पर हमला करती है और उन्हें नष्ट कर देती है। जबकि कुछ लोगों के जीन इस मामले में भूमिका निभाते हैं। जिसके चलते इन्सुलिन का उत्पादन नहीं हो पाता है।
टाइप 2 मधुमेह के कारण- इसके पीछे का कारण इन्सुलिन प्रतिरोध होता है। इसे अनुवांशिकी और जीवनशैली के कारकों का संयोजन भी कहते हैं। जैसे मोटापा होने से मधुमेह के इस प्रकार का खतरा बढ़ जाता है।
शुगर लेवल में वृद्धि के लक्षण क्या हैं-
शर्करा के स्तर में वृद्धि हुई लक्षण इस प्रकार हैं-
- वजन घटने लगता है
- बार-बार प्यास लगती है
- पानी ना पीने पर भी यूरिन की मात्रा कम हो सकती है
- हाथ या पैर में सुन्नता आ जाती है
- जल्दी थकान हो जाती है
मधुमेह को खतरनाक बीमारी माना जाता है। इससे बचने के लिए सही खानपान बेहद जरूरी है। साथ ही जीवनशैली भी सही होनी चाहिए।
Dr. K S Brar | Senior Consultant Diabetology, Endocrinology, Endocrinology – Paediatric | Dharamshila Narayana Superspeciality Hospital, Delhi and Narayana Superspeciality Hospital, Gurugram