किडनी का बेहतर स्वास्थ्य शरीर के सम्पूर्ण स्वास्थ्य में एक अहम भूमिका अदा करता है जिसकी बाकी अन्य अंगों के संचालन में अहम् भूमिका होती है और इसकी कमी होने पर व्यक्ति गंभीर रोग से ग्रसित हो सकता है। कुल मिलाकर किडनी का सुचारू रूप से संचालन की शरीर के बाकी अंगों के सही संचालन में अहम भूमिका होती है। ऐसे में किडनी को स्वस्थ रखना बेहद अहम् है। इस संबंध में आम सामान्य व्यक्ति सबसे पहले निम्नलिखित मूल बातों पर ध्यान दें :-
प्रचुर मात्र में पानी का सेवन :– सबसे पहले पानी का प्रचुर मात्रा में सेवन करें लेकिन कम कम अवधि में थोडा थोड़ा पियें। अक्सर देखा गया है कि पानी अत्यधिक पीने की एवज़ में कुछ लोग लम्बी लम्बी अवधि में अचानक बहुत मात्रा में पानी के सेवन की आदत डाल लेते हैं जो कि सही नहीं है। शरीर को अतिरिक्त कष्ट दिए बगैर कम कम अवधि में पानी पीने की आदत डालें। एक आम सामान्य व्यक्ति को दिन में कम से कम 10 से 12 गिलास पानी का सेवन करना चाहिए।
नमक का सीमित मात्रा में सेवन :– अपने दैनिक जीवन में इस्तेमाल में लाये जा रहे नमक की गुणवत्ता के साथ साथ उसकी मात्रा पर भी ध्यान दें। याद रखेंअत्यधिक नमक का सेवन बीपी बढ़ने का कारण बन सकता है, जिससे सीधे सीधे किडनी प्रभावित होती है। ऐसे में एक आम व्यस्क को दिन में 3 से 4 ग्राम से अधिक नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
वाटर रिच फलों का सेवन :- ऐसे फलों की खासियत है कि शरीर में द्रव संतुलित करने के साथ साथ ये अतिरिक्त विटामिन व पोषक तत्वों का भी स्रोत होते हैं। इनके सेवन से किडनी के संचालन के साथ साथ पोषण भी सुनिश्चित किया जा सकता है। एक सामान्य व्यस्क को दिन में कम से कम एक मौसमी फल ज़रूर खाना चाहिए।
नियमित व्यायाम :- ज़ाहिर तौर पर सामान्य स्थिति में व्यायाम शरीर के सभी अंगों के लिए महत्वपूर्ण है। एक सामान्य व्यस्क को रोजाना हल्की फुल्की एक्सरसाइज से शुरुवात करनी चाहिए और आदत बनानी चाहिए। इससे वजन तो नियंत्रण में रहता ही है साथ ही मांसपेशियां भी स्वास्थ रहतीं हैं जो किडनी के बेहतर स्वास्थ्य में भूमिका निभाते हैं।
पेन किलर्स का सीमित इस्तेमाल :- कुछ दवाइयों और पेन किलर्स को बनाने में इस्तेमाल होने वाले कंपाउंड्स सीधे सीधे किडनी को प्रभावित करते हैं, लेकिन देखा गया है कि अक्सर शरीर में किसी कारणवश दर्द होने पर लोग बिना परामर्श पेन किलर्स का सेवन शुरू कर देते हैं, यह प्रवृति बिलकुल बंद होनी चाहिए। इसलिए उनका उचित मात्रा व नियम के अनुसार ही सेवन किया जाता है, जो एक डॉक्टर ही बेहतर बता सकता है। बिना संबंधित डॉक्टर के परामर्श के कोई भी दवा या पेन किलर्स लेना समझदारी नहीं है। इसके अतिरिक्त किसी भी तरह के दर्द के लिए डॉक्टर से परामर्श ही उचित है।
कोलेस्ट्रोल को करें कंट्रोल :- अत्यधिक कोलेस्ट्रोल वाले भोजन का सेवन न करें, इसका संबंध केवल मोटापे या हृदय रोग से नहीं है, यह रीनल आर्टरीज़ में जमा होकर किडनी को भी नुक्सान पहुचाने की क्षमता रखता है। इसलिए फास्ट फ़ूड, अत्यधिक तले भुने भोजन से परहेज़ करें।
वजन को नियंत्रण में रखें :- सामान्य से अधिक वजन केवल हृदयरोग जैसी समस्या का ही कारण नहीं बनता। बल्कि यह नसों पर अतिरिक्त दबाव बनाता है और और किडनी पर भी अतिरिक्त प्रेशर बनता है, जिससे उनमें क्षति होने की सम्भावना बढ़ जाती है। इसलिए अपना उपरोक्त उपायों व, स्वस्थ जीवनशैली से वजन नियंत्रण में रखें।
धूम्रपान न करें :- धूम्रपान केवल फेफड़ों के लिए ही नहीं बल्कि किडनी रोग को भी बढ़ावा देता है। किडनी समेत अपने सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए धूम्रपान से बिलकुल दूरी बना लें।
कैसी बनती है किडनी की पथरी? क्या हैं लक्षण :-
जैसा कि ज़ाहिर है किडनी का काम शरीर से अपशिष्ट पदार्थ अलग करके पेशाब के रास्ते बाहर निकालना है लेकिन किसी कारणवश वे किडनी के रास्ते बाहर नहीं निकल पाते तो वहीँ जमना शुरू हो जाते हैं और एक प्रकार का पत्थर का आकार ले लेते हैं, यह जमा तत्व कैल्शियम ऑक्जलेट या कैल्शियम फास्फेट होते हैं, जो गंभीर रूप में किडनी का संचालन तो रोक ही सकते हैं बल्कि कभी कभी किडनी को पूर्णतः क्षतिग्रस्त भी कर सकते हैं।
इसके लक्षण अक्सर साइलेंट होते हैं जैसे व्यक्ति किसी अन्य बीमारी के लिए अल्ट्रासाउंड करवा रहा था लेकिन उसी में पथरी का पता चल गया, और दिखाई देने वाले लक्षणों में निम्नलिखित हो सकते हैं:-
- पेशाब में खून आना
- पेशाब में जलन होना
- फ्लैंक पेन अर्थात पेट के ऊपरी हिस्से में पीठ की ओर उठने वाला दर्द.
निम्नलिखित बिन्दुओं को व्यापक रूप से समझें :-
- सबसे पहले ये ध्यान दें कि कम पानी पीना पथरी का जोखिम बन सकता है। इसे इस प्रकार समझें कि एक गिलास पानी में आप नमक घोलना शुरू करें और धीरे धीरे और नमक डालते जाएं और घोलते जाएं तो एक समय ऐसा आएगा जब नमक कुछ मात्रा तल में इकट्ठी होना शुरू हो जाएगी ऐसे में और अधिक पानी की मात्रा डाल कर उसके एक जगह ठहर कर जमने की प्रक्रिया को रोका जा सकता है। ठीक यही बात पथरी और पानी के सेवन पर भी लागू होती है। इसलिए जो लोग सामान्य तौर पर कम पानी पीने के आदि हैं उन्हें अपनी इस आदत में सुधार करना चाहिए।
- जिसे एक बार पथरी हो चुकी हो उसमें दोबारा पथरी बनने कि आशंका तुलनात्मक रूप से अधिक होती है। इसलिए ऐसे लोग इस सन्दर्भ में लगातार चेक अप करवाते रहें। यही बात उनपर भी लागू होती है जिनमें पथरी अनुवांशिक रूप से देखी गई है। वे भी अपना विशेष ख्याल रखें।
- यदि पथरी डिटेक्ट हो जाती है तो घबराएं नहीं, और तुरंत डॉक्टर से सलाह के साथ इलाज शुरू कर दें ताकि आगे के जोखिम को रोका जा सके। कुछ पथरियों का इलाज दवाओं से होता है कुछ के अकार और गंभीरता के अनुसार सर्जरी की ज़रूरत पड़ सकती है। और आजकल इतनी आधुनिक तकनीकें उपलब्ध हैं कि बहुत बड़ी सर्जरी किये बिना या छोटा चीरा लगाकर, यहाँ तक कि बिना चीरे के, दूरबीन द्वारा भी पथरी से निजात पाई जा सकती है।
सबसे पहले समझें कि यूरिया है क्या? दरअसल शरीर में जब प्रोटीन ब्रेक होता है तो यूरिया के रूप में अपशिष्ट पैदा करता है जिसे स्वस्थ किडनी के ज़रिये पेशाब के रास्ते शरीर से बाहर फेंका जाता है। ऐसे में अस्वस्थ किडनी व्यक्ति के शरीर से इस यूरिया को पूरी तरह से बाहर नहीं फेंक पाती और वह शरीर में रह जाता है। इसके लक्षणों में :-
- चेहरे पर सूजन
- भूख कम लगना,
- उल्टियां होना
- कमजोरी
- मुंह से अजीब सी बदबू आना आदि शामिल हैं
सही समय पर इस समस्या पर ध्यान नहीं देने के कारण या इसके गंभीर हो जाने पर किडनी के साथ साथ हृदय रोग का भी खतरा बढ़ जाता है। इसलिए इन लक्षणों को नज़रंदाज़ न करें और तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।
जैसा कि बीमारी के मूल स्वरुप में बताया गया, उसके अनुसार यूरिया की समस्या से जूझ रहे मरीज़ का प्रोटीन का सेवन सीमित या डॉक्टर की देख रेख में होता है। इसलिए इस सन्दर्भ में डॉक्टर की ही सलाह अहम् है।
यदि किडनी के किसी समस्या या रोग से ग्रसित हैं तो बहुत सी बातें हैं जिनके प्रति मरीज़ को अब सतर्क हो जाना चाहिए। हालाँकि ऐसे रोगियों के परहेज़ सख्त होते हैं लेकिन यदि इनका सही से पालन किया जाए तो स्थितियां बेहतर भी होतीं हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं :-
- किडनी के संचालन द्वारा प्रोटीन शरीर में ब्रेक होता है। एक आम व्यक्ति को अपने वजन के अनुपात में एक ग्राम प्रोटीन प्रति एक किलोग्राम वजन के अनुसार ज़रूरत होती है। ऐसे में किडनी के गंभीर रोग की स्थिति में यदि दोनों किडनी मिलकर 30 फ़ीसदी से भी कम परफोर्मेंस दे रहीं हैं तो अक्सर प्रोटीन की मात्रा का यह अनुपात कम कर दिया जाता है। लेकिन यह मात्रा भी संबंधित डॉक्टर की सलाह पर ही निर्धारित होती है।
- उपरोक्त बिन्दु को ही ध्यान में रखकर समझें कि प्रोटीन की मात्रा व उसके स्रोत ख़ास तौर पर डॉक्टर की सलाह पर ही तय करें। दरअसल ऐसे में शरीर में अतिरिक्त यूरिया जमा होने की आशंका होती है जो पहले से किडनी रोग से जूझ रहे व्यक्ति के लिए ठीक नहीं है। इसलिए इसका विशेष ध्यान रखें।
- सबसे पहले ये समझे कि किडनी के रोगों से जूझ रहे मरीज़ के लिए किडनी की देखभाल के मायने एक आम स्वस्थ व्यक्ति से अलग हो जाते हैं। जैसा कि स्वस्थ किडनी के लिए कहा जाता है कि पानी का प्रचुर मात्रा में सेवन करें, एक गंभीर किडनी रोग से जूझ रहे मरीज़ को पानी का सेवन डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही करना होता है।
- पोटेशियम युक्त फल आम तौर पर बहुत लाभदायक बताये जाते हैं लेकिन गंभीर किडनी रोग से जूझ रहे व्यक्ति के लिए यह बहुत घातक साबित हो सकता है। इसलिए खाए जाने वाले अपने फलों की अपने संबंधित डॉक्टर की सलाह पर एक सूची बनाएं और उसके अतिरिक्त कुछ न लें।
उपरोक्त के अलावा बीपी नियंत्रित रखें और यह भी ध्यान दें किडनी रोग के बहुत से कारण हो सकते हैं, इनमें से एक डायबिटीज भी है, इसलिए डायबिटीज के मरीज़ अपने खान पान का अतिरिक्त ध्यान रखें और शुगर लेवल और वजन नियंत्रण में रखें, लेकिन इसके लिए भी अपने संबंधित डॉक्टर की सलाह के अनुरूप ही परहेज़ व उपाय करें।
डॉ. मयंक गुप्ता, निदेशक और वरिष्ठ सलाहकार – यूरोलॉजी और यूरो-ऑन्कोलॉजी, धर्मशीला नारायण सुपरस्पेशलिटी अस्पताल, दिल्ली