कंजेनाइटल हार्ट डिजीज का जन्म के समय से फैलाव (9/1000 जीवित जन्म) और प्रति वर्ष 200,000 से अधिक मामलों का सामने आने के कारण अब यह महत्वपूर्ण हो गया है कि हम कंजेनाइटल हार्ट डिजीज के संबंध में पूरी जानकारी रखें।
फीटल इकोकार्डियोग्राम एक आधुनिक तकनीक है जिससे कंजेनाइटल हार्ट डिजीज का पहचान किया जा सकता है।
प्रक्रिया:
- छोटी प्रोब या ट्रांसड्यूसर जिसको माँ के पेट पर रखा जाता है
- प्रोब से अल्ट्रासोनिक तरंगें बच्चे के हृदय पर डाली जाती है जो बच्चे के हृदय की सही छवियों को दर्शाती है
- भ्रूण की स्थिति के आधार पर इसको करने में लगभग 40 से 90 मिनट का समय लगता है
- हृदय विसंगतियाँ परीक्षण के केंद्र में होता है
- सोनोलॉजिस्ट द्वारा किया जाता है
- इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट इसका परिक्षण करते हैं
- जन्म से पहले ही कंजेनाइटल हार्ट डिजीज का पता लगाया जा सकता है जिससे इसका प्रबंधन समय रहते किया जा सके।
ये स्कैन किसे करवाना चाहिए?
केवल उन महिलाओं को लेना चाहिए जिनके नियमित अल्ट्रासाउंड में किसी तरह के विचलन का संकेत मिला हो।
संकेत:
- नियमित अल्ट्रासाउंड में संरचनात्मक विसंगतियों का संकेत मिलना
- नियमित अल्ट्रासाउंड में संभावित एरिथमिया के संकेत मिलना
- परिवार में कंजेनाइटल हार्ट डिजीज का इतिहास
- गर्भ में जुड़वां बच्चे होने पर
- किसी प्रकार के क्रोमोसोमल असामान्यता का पता चलने पर
- भ्रूण के अंगों के आसपास अतिरिक्त तरल पदार्थ दिखने पर
- नियमित अल्ट्रासाउंड में एकाधिक अंग की भागीदारी दिखने पर
यदि मां एंटी-मिरगी, एंटी-डिप्रेसेंट, एंटीबायोटिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी (यानी इबुप्रोफेन, इंडोमेथेसिन) या मुँहासे के लिए कुछ दवाएं लेती है –
- गर्भावस्था के दौरान शराब या अन्य एक्सटेसी दवा का सेवन
- गर्भकालीन मधुमेह
- माँ को रूबेला रोग
- अन्य रोग जैसे सिस्टमिक ल्यूपस एरिथ्रोमेटोसिस आदि
फीटल इकोकार्डियोग्राम परिक्षण के लिए सबसे अच्छा समय दूसरा तिमाही – 18 से 24 सप्ताह है।
घटनाक्रम:
- नियमित स्कैन में विसंगति का संकेत मिलने पर आपको बाल हृदय रोग विशेषज्ञ के पास भेजा जाता है
- फिर इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट फीटल इकोकार्डियोग्राम परिक्षण करते हैं
- माता-पिता को विसंगति तथा उसके कदम दर कदम आवश्यक देखभाल के बारे में बताया जाता है
आगे परामर्श करें:
- फीटल केयर कोर्डिनेटर
- आनुवंशिक परामर्शदाता, कार्डियक सर्जन या
- परम्परागत हृदय रोग विशेषज्ञ को कतार में लगना पड़ सकता है
बड़ा सवाल…स्कैन क्यों?
मानव शरीर में म्यूटेशन्स को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। जब बच्चा म्युटेशन के साथ इस दुनिया में आता है तो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए की वो जीवित रहे और स्वस्थ रहे। वह अन्य बच्चों की तरह सामान्य जीवन जी सके। समय पर पता लगाने से उचित प्रबंधन और देखभाल सुनिश्चित करने का मौका मिलता है।
उन्हें यह मौका दें…
डॉ. हेमंत मदान, डायरेक्टर और सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट, धर्मशीला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली