कोरोना के साथ, रायपुर ने पिछले कुछ दिनों में पीलिया के मामलों में भी वृद्धि देखी। एक्यूट वायरल हेपेटाइटिस ई, आज कल फैले हुए पीलिया का प्राथमिक कारण है, पीलिया से बचने के लिए हेपेटाइटिस वायरस को समझना जरुरी हैं।
क्या है एक्यूट वायरल हेपेटाइटिस?
एक्यूट वायरल हेपेटाइटिस लिवर की सूजन है जो विभिन्न विषाणु के लिवर को संक्रमित करने से होती है। हेपेटाइटिस ए और ई सबसे आम हैं जो दूषित खाना और पानी के सेवन से फैलता है|
एक्यूट वायरल हेपेटाइटिस ई
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार,यह छोटा आरएनए वायरस, हेपेटाइटिस ई लगभग 2 करोड़ संक्रमण का कारण बनता है, और हर साल दुनिया भर में एक्यूट हेपेटाइटिस के लगभग 30 लाख रोगसूचक मामले देखे जाते हैं। अस्वच्छ वातावरण में रहेने वाले और दूषित पानी पिने वाले लोगों में इस वायरस का सबसे अधिक खतरा होता है| यह किसी भी आयु वर्ग के लोगों को संक्रमित करता है लेकिन 15 से 40 साल की उम्र वाले लोगों में सबसे अधिक देखा जाता है। बच्चों में यह एक स्पर्शोन्मुख संक्रमण या हल्की बीमारी होती हैं, | लक्षण विकसित होने में 6 सप्ताह तक का समय लग सकता है।
लक्षण
- हल्का बुखार
- भूख कम लगना
- चक्कर और उल्टी
- ऊपरी पेट में हल्का दर्द
- कमज़ोरी और खुजली
- प्रोग्रेसिव पीलिया (आंखों और त्वचा का पीला रंग, गहरे रंग की पेशाब)
सम्बंधित समस्याए
एक्यूट हेपेटाइटिस के लगभग 95% मामले पहले 6 हफ्तों में सामान्य उपचार से हल हो जाते हैं, कुछ मर्हिजो को प्रोग्रेसिव पीलिया और खुजली के साथ 3 महीने तक लग सकते हैं।यह 5% मामलों में लिवर की विफलता विकसित हो सकती है, जिसमें परिवर्तित ज्ञानेंद्रिया और सिंथेटिक अंग बिगड़े हुए दीखते है, जिससे रक्तस्रावी घटना और मृत्यु भी हो सकती है। पीड़ितों के इस समूह को विशेष देखभाल की जरुरत होती हैं, इन्हें लीवर ट्रांस्प्लांट की आवश्यकता भी पड़ सकती हैं| गर्भवती महिलाए और अंडरलाइंग क्रोनीक लीवर डिसऑर्डर के मर्हिजों को सबसे अधिक खतरा होता है| विशेष रूप से गर्भावस्था के अंतिम 3 महीनों में यह बीमारी 25% मामलों में मृत्यु का कारण साबित होती हैं| गर्भवती महिलाओं को इस दोरान विशेष देखभाल मिलनी चाहिए| अंडरलाइंग क्रोनीक लीवर डिसऑर्डर के मर्हिजों के लिए यह बीमारी घातक है|
निदान
- साधारण रक्त जांच, जिसमे लीवर फंक्शन टेस्ट (LFT) भी शामिल हो
- वायरल सीरोलॉजी
- सहायक परीक्षण जिनसे हेपेटाइटिस के बाकीलक्षणों की भी जांच हो सके
- उदर सोनोग्राफी ताकि लीवर की स्थिति का पता लगाने क लिए
सलाह
- उबला हुआ पानी पिएं
- ठीक से पका हुआ घर का खाना खाए जिसमे प्रोटीन की मात्र अधिक हो
- खाने से पहेले सब्ज़ियो और फलो को आचे तरह से धो ले
- उचित स्वच्छता बनाए रखें
- आराम करे
- गर्भवती महिलाए और अंडरलाइंग क्रोनीक लीवर डिसऑर्डर के मरहिज़ अपना खास ख्याल रखे
- कभी भी किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें, कोई भी लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं
- दवाइयों का सेवन बिना डॉक्टर की सलाहके न करें
वर्त्तमान स्थिति में पीलिया के मर्हिजो में अप्र्यशित बढ़ोत्री देखि गई हैं, अत: सभी वर्ग या उम्र के लोगो को गरम पानी (पानी उबाल कर) हीपीना चाहिए|
Dr. Abhishek Jain | Consultant- Gastroenterologist | NH MMI Narayana Superspeciality Hospital, Raipur