इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी क्या है?
हृदय की अपनी विद्युत गतिविधियाँ (electrical activities) होती हैं जब इनमें किसी प्रकार की बाधा उत्पन होती है तो (एरिथमिया कहा जाता है) हृदय, मस्तिष्क और अन्य महत्वपूर्ण शरीर के अंगों से संबंधित बड़ी जटिलताएं सामने आती है। इन विद्युत गतिविधियों (electrical activities) के अध्ययन, निदान और उपचार करने के विज्ञान को कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी कहा जाता है।
इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट कौन है?
इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट होते हैं जिनके पास असामान्य विद्युत गतिविधियों के उपचार और प्रबंधन में 2 साल का अतिरिक्त प्रशिक्षण प्राप्त होता है। इस विशेष तकनीक को क्लिनिकल कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी कहा जाता है। एक क्लिनिकल कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट ने एडवांस्ड कार्डियक संबंधी प्रक्रियाओं को करने और उनके परिणामों की व्याख्या करने के लिए अपने आप को समर्पित किया है।
इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट की जरूरत किसे है?
जब किसी व्यक्ति की दिल की धड़कन असामान्य रूप से बढ़ जाता है और वो किसी भी तरह से नियंत्रित नहीं किया जा पा रहा हो (जिसे एट्रिअल फिब्रिलेशन भी कहा जाता है), तो वे एक चिकित्सक से परामर्श कर सकते हैं। वह चिकित्सक उस व्यक्ति को एक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट का दिखाने की सलाह दे सकते हैं। एक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिकल अध्ययन के बाद और अंतर्निहित कारण की जांच के बाद उचित प्रबंधन सुझाता है, जिस पर हम यहाँ चर्चा करेंगे। इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिकल अध्ययन आवश्यक दवाओं के साथ भी हो सकता है।
अनियमित दिल की धड़कन की समस्या के निदान और उपचार में इलेक्ट्रो फिजियोलॉजिस्ट की क्या भूमिका है?
इलेक्ट्रो फिजियोलॉजिस्ट हृदय की असामान्य विद्युत गतिविधियों का अध्ययन करता है। वे न केवल असामान्य कारणों का पता लगाते हैं साथ हीं वे इसे ठीक करना सुनिश्चित करते हैं।
ये अध्ययन कैसे होता है?
हृदय इलेक्ट्रोकोलॉजिस्ट हृदय गतिविधि की निगरानी के लिए एक कैथेटर को पैर के जरिए हृदय तक डालते हैं।
इस कैथेटर में रेडियोफ्रीक्वेंसी एब्लेशन या क्रायो एब्लेशन शामिल हो सकता है जो कि विसंगति (anomaly) का इलाज करते हैं। कुछ अन्य कॉन्कररेंट ट्रीटमेंट में एंटीरैडमिक ड्रग थेरेपी, पेसमेकर और डिफिब्रिलेटर शामिल हैं। एट्रियोवेंट्रीकुलर नोड एब्लेशन की तरह। इस तरह एवी नोड को हटाते हैं, इसके बाद हृदय के नीचे के कक्षों में पेसमेकर लगाते हैं जो यह सुनिश्चित करता है कि हृदय अपनी सामान्य विद्युत गतिविधि को बनाए रखे।
इस क्रम में उपयोग की जाने वाली एक और तकनीक इलेक्ट्रिकल कार्डियो संस्करण है। इसमें हल्के सेडेटिव देने के बाद पैडल या पैच के जरिए बिजली का झटका दिया जाता है। इसे आपके हृदय की विद्युत गतिविधि रुक जाती है और रीसेट हो जाती है।
इन सभी प्रक्रियाओं को एक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट अंजाम देते है ताकि स्रोत को खोजने और सफल परिणाम प्राप्त करने के लिए मैपिंग विशेषज्ञ की सहायता ली जा सके।
इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट की किसको आवश्यकता होती है?
एक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम, इकोकार्डियोग्राम और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी नामक अध्ययन करता है। स्टेथोस्कोप और एक असामान्य ईसीजी के माध्यम से शारीरिक परीक्षा के बाद असामान्य हृदय गतिविधि का पता चलने पर इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिकल अध्ययन की सिफारिश की जाती है।
एक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिकल अध्यन से क्या उम्मीद रखें?
इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी हृदय संबंधी मामलों में निदान और प्रबंधन की एक आगामी शाखा है। बहुत सारे लोग इसके बारे में नहीं जानते हैं। लेकिन इस संबंध में बहुत सारे शोध किए गए हैं जिनके परिणाम परिणाम आश्चर्यजनक रूप से सकारात्मक हैं। हमारा मानना है कि उपचार के सभी उपलब्ध विकल्पों को आपको जानना चाहिए और फिर अपने विवेक से सही निर्णय लेना चाहिए।
डॉ. विवेक चतुर्वेदी, सीनियर कंसलटेंट – कार्डियोलॉजी – वयस्क, कार्डियोलॉजी – बाल चिकित्सा, इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी, नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, गुरुग्राम
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